"दोहा मुक्तक"पारिजात सुन्दर छटा, शम्भू के कैलाश।पार्वती की साधना, पुष्पित अमर निवास।महादेव के नगर में, अतिशय मोहक फूल-रूप रंग महिमामयी, महके शिखर सुवास।।हिमगिरि सुंदर छावनी, देवों का संसार।कल्पतरु का वास जहाँ, फल फूले साकार।जटा छटा शिर चाँदनी, पहिने शिव मृगछाल-नयन रम्यता