"झिनकू भैया का झुनझुना” (घुनघुना) झिनकू भैया को बचपन से ही झुनझुना बहुत पसंद था, जो आज भी किसी न किसी रूप में बज ही उठता है। कभी महँगाई की धुन पर झनझना जाता है तो कभी भ्रष्टाचार, आतंकवाद, बेरोजगारी, भूखमरी, बलात्कार इत्यादि पर आफरीन हो जाता है झिनकू भैया का घुनघुना। बजा