“गज़ल” हम तेरे चाहने के सिवा आ गए जिंदगी जिंदगी को लिवा आ गएकितनी राहें घुमाई भुले भान कोगम न कर आदमी को बुला आ गए॥ बजती नित पाँव पायल जिसके वहाँ उसको उसके ही आँगन बिठा आ गए॥हमने जाना नहीं क्या हुआ क्या किया किसने अनहद नचाया भुला आ गए॥ देखो रागें वही फिर न तुम छेड़नातर कानो