4 मई 2017
मुक्त काव्य..... सीमा सुरक्षा बीर जवान नियत पड़ोसी है बईमान कब क्या कर दे ये हैवान पाक तेरा नापाक विधान॥ कश्मीर भारत की शान मानव मजहब है रहमान छद्मी आतंकी तेरे गुमान संबंधी सीमा लहूलुहान सुन रे कायर घृणित नादान॥ घाती,कहता खुद को नायर पीठ दिखाकर कर