“मुक्तक” बहुत प्यार हमने तुमसे किया था मगर तुमने दिल का इशारा न समझा। जतन यार कितने मन से किया था डगर चलना तुमने गवारा न समझा। बड़े बे सहुर हो गए झूठ में तुम अमानत लिए ही गए रूठकर तुम- पतन किया तुमने मेरे वफा का बसर करके घर में गरारा न समझा॥-1 नवल थे इशारे धवल रोशनी थ