“मुक्तक”मुक्तक तेरे चार गुण कहन-शमन मन भाव। चाहत माफक मापनी मानव मान सुभाव। चित प्रकृति शोभा अयन वदन केश शृंगार-समतुक हर पद साथ में तीजा कदम दुराव॥-१ यति गति पद निर्वाह कर छंद-अछन्द विधान। अतिशय मारक घाव भरि मलहम मलत निदान। वर्तन-नर्तन चिन्ह लय कंठ सुकोमल राग- करुण-दरुण द