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भ्रस्टाचार के खिलाफ बोलना जंग लड़ने जैसा !

8 सितम्बर 2017

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भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना जंग लड़ने से कम नहीं है ।जंग में तो दुश्मन सामने होते हैं लेकिन जब आप भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलते हैं तो यहाँ चारों तरफ से आपके दुश्मन होते हैं ।कुछ पल के लिये तो लोग खास तौर से सोशल मीडिया पर लोग आपका उत्साहवर्धन कर देंगे लेकिन बात जब असल लड़ाई की होती है तो सब पीछे हो जाते हैं।आपको लगने लगेगा कि आप जिसके लिए आवाज उठाते हैं जब वो ही आपके साथ नहीं तो फिर आवाज उठा कर क्या फायदा ।दूसरों की बात छोडिये आपको परिवार के लोग ही कहेंगे कि इन सब से कोई फायदा नही अपना कैरियर पर ध्यान दो । सब को फ़िल्म देखकर ताली बजाने में ही अच्छा लगता है!किसी को रियल हीरो पसंद नहीं है,सबको रील वाला हीरो ही पसंद है । फिल्मों में अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाला हीरो को तो उसकी गर्लफ्रैंड भी पसंद करती है लेकिन असल जिंदगी के हीरो से तो लड़कियां भी भागती है । अभी तो अगर आपको ज्यादा हँसना और ज्यादा रोना आता है तो लोग कहेंगे टैलेंट है भाई ।लेकिन समाज की बेहतरी की बात बोल दें तो लोग आप पकाऊ भी कह सकते हैं । मैं ये सब कोई निजी अनुभव के आधार पे नहीं कह रहा ,और ये मेरे पास अनुभव आएगा भी कहाँ से मैंने तो कोई ढंग से भ्रस्टाचार के मुद्दे पर आवाज भी नहीं उठाई । सच बोलूं तो डर लगता है ,मुझमें इतना अभी हिम्मत नहीं हुआ है।शायद मैं स्वार्थी भी हूँ इसलिए भी खुल कर नहीं बोल पाता और शायद बोल भी न सकूँ । जो देश मे भ्रस्टाचार के खिलाफ आपको अक्सर लड़ते हुए दिख जाते है वो कई बंधनों को तोड़ कर आते हैं,वो अपने निजी आकांक्षाओं और महत्वकांक्षो को छोड़ कर आते हैं।भ्रस्टाचार के खिलाफ बोलने को लेकर बाहर कई लोगों से तो उन्हें जलील होना ही पड़ता है लेकिन घर में भी उन्हें ऐसे नजरिये से शायद देखा जाता है जैसे मानो उन्होंने किसी के खिलाफ आवाज उठा कर गुनाह कर दी हो । आगे अगले लेख में ।

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8 सितम्बर 2017
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