शून्य में कौन मुझसे कह रहा क्या कह रहा ...कुछ सुनाई नहीं देता !सन्नाटों की अभेद दीवारें पारदर्शी तो है इक साया सा दिखता भी है कभी कुछ कहता कभी चीखता सा ...पर क्या कह रहा है कैसे जानूँ !सुनने से पहले देखना चाहती हूँ साया है किसका चेहरे की असलियत मिल जाए तो जानूँ यह विश्वास दे रहा है या चेतावनी !समय क