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बाबा धाम

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न कोई निमंत्रण, न ही कोई बुलावा। न कोई पोस्टर और न ही पम्फलेट का वितरण। न मुनादी और न किसी का आह्वान। बिना किसी अपील और उकसावे के युवा अपने घरों से निकलने को बेताब हैं। कहीं-कहीं से कांवरियों का जत्था रवाना भी हो चुका है। कांधे पर कांवर, गेरुआ वस्त्र पहने, कमर में इलाहाबाद की शान कहा जाने वाला गमछा।

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