समान्त- अना, पदांत- जरुरी है, मापनी- 2122, 2122, 2222 "गीतिका" हों कठिन राहें मगर चलना जरुरी है दूर हो मंजिल डगर दिखना जरुरी है बढ़ चलेंगे हर कदम अपने तरिके से हौसला हर हाल में रखना जरुरी है।। ठान ले गर आदमी पर्वत पिघल जाए पर भरोषा आप पर करना जरुरी है।। गिर पड़ी गर