चलते चलते एहसास नहीं होता कितनी दूर चले आए जिस वक़्त में या तो व्यक्ति जी लेता है या फिर हार जाता है ! बन जाता है मील का पत्थर या जीवन के कई अनसुलझे रहस्य झलक दिखलाकर उसे दार्शनिक बना देते हैं ! मिटटी के कण में भी मिल जाता है ब्रह्माण्ड कृष्ण मोर पंख में