28 अगस्त 2017
ऐ जिन्दगी, इक तू ही तो है बस, मैं और मेरे दरमियाँ । खो सा गया हूँ मुझसे मैं, न जाने कहां! ढूंढता हूँ खुद को मैं, इस भीड़ में न जाने कहां? इक तू ही है बस और कुछ नहीं मेरा यहाँ! अब तू ही है बस मैं और मेरे दरमियाँ! ये रात है और कुछ कह रही