बहुत सोचा एक वसीयत लिख दूँ अपने बच्चों के नाम ...घर के हर कोने देखे छोटी छोटी सारी पोटलियाँ खोल डालीं आलमीरे में शोभायमान लॉकर भी खोला ....... अपनी अमीरी पर मुस्कुराई !छोटे छोटे कागज़ के कई टुकड़े मिले गले लगकर कहते हुए - सॉरी माँ,लास्ट गलती है अब नहीं दुहराएंगे ... हँस दो माँ 'अपनी खिलखिलाहट सुनाई