एक रात की नींद सावन के फुहारों से भींगी मिट्टी, मिट्टी की भीनी-भीनी खुशबू मे सड़क के किनारे एक लड़की, नमी व मुलायम मिट्टी में लकड़ी से आकृति उकेरने का प्रयास कर रही थी। बादल सूर्ख काले दिखतें मनो अभी बिखर पड़ेगें। यह ख़याल ही था। दोपहर की अजान गलियों में गूँज चुकी थी। सभी ज़नाब अपने सरों में रखी असंख्य