एक रात की नींद सावन के फुहारों से भींगी मिट्टी, मिट्टी की भीनी-भीनी खुशबू मे सड़क के किनारे एक लड़की, नमी व मुलायम मिट्टी में लकड़ी से आकृति उकेरने का प्रयास कर रही थी। बादल सूर्ख काले दिखतें मनो अभी बिखर पड़ेगें। यह ख़याल ही था। दोपहर की अजान गलियों में गूँज चुकी थी। सभी ज़नाब अपने सरों में रखी असंख्य
जीवन के मधु प्यास हमारे, छिपे किधर प्रभु पास हमारे?सब कहते तुम व्याप्त मही हो,पर मुझको क्यों प्राप्त नहीं हो?नाना शोध करता रहता हूँ, फिर भी विस्मय में रहता हूँ,इस जीवन को तुम धरते हो, इस सृष्टि को तुम रचते हो।कहते कण कण में बसते हो,फिर क्यों मन बुद्धि हरते हो ?सक्त हुआ मन निरासक्त पे,अभिव
सिखा दे हमें मुस्कराना वो हर पल😍😇करने को तो है बयां इस दिल की कहानी,पर काश मैं कह पाती इसको अपनी जुबानी.कहने को तो इस दिल में है यूँ तो बहुत कुछ,पर कम्बख्त ये दिल बयां करता ही नही कुछ.दरियादिली इस दिल की तुम न पुछो बस,😐😐खुशमिजाज़ ही रहता है पीकर भी ये हार का रस.हैं हम तो नासमझ जो इसको न समझ पाए,ब