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शिवा

hindi articles, stories and books related to shiva


एक रात की नींद सावन के फुहारों से भींगी मिट्टी, मिट्टी की भीनी-भीनी खुशबू मे सड़क के किनारे एक लड़की, नमी व मुलायम मिट्टी में लकड़ी से आकृति उकेरने का प्रयास कर रही थी। बादल सूर्ख काले दिखतें मनो अभी बिखर पड़ेगें। यह ख़याल ही था। दोपहर की अजान गलियों में गूँज चुकी थी। सभी ज़नाब अपने सरों में रखी असंख्य

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" तेरे जाने से,अब ये शहर वीरान हो गया, तेेेेरे जादू का असर अब जाने कहा खो गया तेरी पायल की झंकार से, ये सारा शहर जाग जाता था, अब उन झंकारो का खतम नामों-निशान हो गया, बहुत ढूँढ़ा मैनें तुझे मुशाफिरों की तरह, भटकता रहा,छिपता रहा,कायरो की तरह, अब तक तो ये शहर भी पूरा सुनसान हो गया,

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