तिस्लिमी दुनिया से ख़ुद को बचाना यारों,क़दम भी आहिस्ते-आहिस्ते चलाना यारों।सोच समझ ले फ़िर चलना इसके दरमियां,ख़ुद को जगा लेना न ख़ुद को सुलाना यारों।मौत का खेल है यहाँ बड़ा ही मुश्किल मंज़र ,ख़ुद को न लिटाना बस ख़ुद को उठाना यारों।कोरोना लिए कफ़न फ़िर रहा तलाशने राही,एहतेराम ख़ूब
तेरी खूबसूरती ने क्या कमाल कर दिया,इश्क के ख्यालात से माला माल कर दिया. गरीब तो वो है जिन्हे इल्म ए इश्क नहीं, हमने तो खूबसूरती पे क़सीदा लिख दिया. शाम होते ही मैं शमा को बुझा देता हूँ.ख्वाबों के ल