शून्य में टिकी मेरी आँखें हाथों में एक कलम देखती है और लिखती जाती है - काव्य-महाकाव्य ग्रन्थ-महाग्रंथ कभी शून्य की देहरी पर जाओ तो … पढ़ना उसे हुबहू समझने के लिए कोलाहल में मुझसे बातें करना जब सन्नाटा साँसें अवरुद्ध करने लगे तो लिखे हुए किसी शब्द को रेखांकित करना कई स्वर मुखरित हो उठेंगे !शून्य में म