करो वंदना स्वीकार प्रभोवासना से मुक्त हो मन, हो भक्ति का संचार प्रभोजग दलदल के बंधन टूटे हो भक्तिमय संसार प्रभो ॥वाणासुर को त्रिभुवन सौपा चरणों में किया नमस्कार प्रभोभक्तो पर निज दृष्टि रखना करुणा बरसे करतार प्रभो ॥कण-२ में विद्धमान हो नाथ तुम निराकार साकार प्रभोदानी हो सब कुछ दे देते