क्या करूँ अपनी हालत का कसूर इस दिल का है सारामुझे कैदी बनाने का हुनर तो तिल का है सारामैं तो नदिया का पानी हूँ मचलना मेरी फितरत हैमुझे बाहों में भरने का शगल साहिल का है सारातेरी ज़ुल्फ़ों के लहराने पे आशिक आह भरते हैंमगर उनको उड़ाने का करम अनिल का है सारारास्ते टेड़े मेड़े हैं चोट चलने से लगती हैदोष