0.0(0)
30 फ़ॉलोअर्स
2 किताबें
कोई सोचे भी ये कैसे कि हम ना तुझे चाहेंगेमेरे तो अक्स भी तेरे हर अंग में नज़र आएँगेजब तलक साँस है मेरे इस तड़पते सीने में हर तल्ख मौसम में तेरा साथ हम निभाएँगे शिशिर मधुकर
मुहब्बत के दुश्मनों के हाथों ये जो खून हुए जिंदगी में ख़त्म फिर वो सारे मेरे जुनून हुए तेरे आँचल की छाँव ज्यों ही इस सर से हटी ख़ुशी में झूमते मन आँगन फिर से सून हुए.जिंदगी तप रही थी सूखे रेत की मानिंद जो तेरी बाहों में आकर ही उसे कुछ चैन मिला स्नेह की बारिश का मुझ पर जो करम हुआ दिल की बंज़र हुई भूम
कौन कहता है कि तुम्हे हम अब याद नहीं करते मुहब्बत के ये हँसी एहसास जीवन भर नहीं मरते माना के कई मज़बूरियाँ हैं हम दोनों के दरम्यानकैसे कहोगे ख़ुदाया कि तुम हमें इश्क़ नहीं करते.अपनी सूरत को आईने में ज़रा देखो तो ध्यान से और इस दिल पर हाथ रख कर कह दो ईमान से तेरे जलवों की रौनकों में मेरा कोई भी असर न
कभी जिसके लिए हमनें सभी से बैर किया एक ठोकर लगी उसने हम ही को गैर कियाज़माने के सितम एक पल वो सह ना सके टूट के हमको भी रुस्वा है सरे शहर किया.कहाँ तो हर रोज़ ही दीदार ए यार होते थे कितने हँसी सपने आँखों में हम संजोते थेअब तो मिलने से भी उन्होंने fहै इंकार कियाकैसे जालिम ने दिल पे छुरी से वार कियाहमक
मेरे महबूब इस जनम में तू दीवाना हम जैसा ना पाएगाहमारी याद बहुत रुलाएगी जब तू औरों को आज़माएगा. दुनियाँ के डर से भले तूने खुद को हमसे दूर कर लिया हमको यकीं है पूरा एक दिन तू फिर मेरे करीब आएगा.दुनियाँ के अपने कायदे हैं मुहब्बत का भी है अपना धरम हर शख्स जिन्दगी के इस खेल में अपना पात्र निभाएगा नदियाँ
किसी के मन से जब तुम्हारा भय निकल जाए तो स्नेह होता हैंकोई जब तुम्हारी गलतियों पर ना तिलमिलाए तो स्नेह होता हैंकिसी से बेबाक हो कर कुछ भी जो कह पाएं तो स्नेह होता हैंकिसी की मुश्किलों में हमेशा साथ को निभाए तो स्नेह होता हैंकिसी से मिलने में बिल्कुल भी ना हिचकिचाए तो स्नेह होता हैंकिसी का चेहरा देख
देवी मत बनाओ औरत को तुम इंसान रहने दोअपने दिल के जज्बात उसको भी तो कहने दो अगर बाँधोगे तुम उनको गुलामी की दीवारों में कभी रंगत ना आ पाएगी इन खिलती बहारों में शिशिर मधुकर
जब तलक हाथ ये हाथों में तुम्हारा ना थातेरे नाम का चर्चा भी हमको गँवारा ना थातुझसे मिलने के बाद ही तो एहसास हुआबेवजह हमने अपने दश्त को सँवारा ना थाशिशिर मधुकर
धर्म जब केवल ठेकेदारों की किताब हो गयाआम जन के लिए समझो वो खराब हो गयाऐसे में स्वार्थसिद्धि के सब कई षड्यंत्र करेंगेजिसका मूल्य सदियों तक निरीह लोग भरेंगेकिताबों में लिखी कुछ बातों की देंगे ये दुहाईजन जन के बीच कराएंगे ये सब बड़ी लड़ाईपर ज्ञान की तो सोचो कोई सीमा नहीं होतीपुरानी लिखी बातें भी हैं अक्स
एक महीने का रमजानरोजे रखने की परम्पराअनुशासन का अभ्यासईद उल फितर का दिनफ़िर रोज़ मर्रा आजादीआंतरिक संतुलन प्राप्तियही तो हैं असल ताकतकाश हम ये जान जाएविश्वस्तरीय ईद मनाए
कश्मीर में हिंसा और घाटी में अलगाववादइस सच से आजकल सब दो चार हो रहे हैंऔर जाकिर नाईक के भड़काऊ उपदेशों परएक दूसरे पर भद्दे राजनैतिक वार हो रहें हैं.सच में हम भारतीय कभी सुधर नहीं सकतेअपना ही नाश करने में हम कभी नहीं थकतेझूठ को सच बनाने की हमें सदा से आदत हैतभी गुंडों की मृत्यु पर भी होती सियासत हैएक
अपने भारत जैसा धरती पर कोई देश नहीं हैं औरईमानदार यहाँ धक्के खाते हैं और चोर मचाएं शोरसंघीय ढाँचे के नाम पर हरदम राज्य शोर मचाते हैंअपने दोषों की गठरी भी वो केन्द्र के सर ठहराते हैंकेन्द्र अगर सख्ती कर दे तो आने से पहलें नई भोरचोरों का ये संघीय ढाँचा हो जाता हैं बहुत कमजोरदेश सुचारु चलाने को ये तो प
शांति की खातिर हम कब से अत्याचार सह रहे थेकिसी से कुछ ना कह कर बस चुपचाप रह रहे थेशायद वो सब इसको हमारी कमजोरी समझते थेतभी तो बिना बात हम से सारे बेईमान उलझते थेअत्याचारियों ने आतंकी सीमाओं को जो तोड़ा हैंप्रतिघात को ही निज रक्षा का उपाय एक छोडा हैंअब हमने तय किया हैं पूरी शक्ति से हम भी लड़ेंगेकुरु
ऐ ज़माने तूने क्यों खुद को बदरंग कर लियासारी शर्म छोड़ बस गुबार दिल में भर लियाजो भी हैं चालाक झूठे मिलकर एक हो गएसत्य को तूने यहाँ आखिर अकेला कर दियाझूठ ही जीतेगा जब तो सच की क्यों बातें पढ़ेकह दो अब कोई भी धर्म पथ पर ना आगे बढेझूठ का साम्राज्य जब चारो तरफ़ बन जाएगान्याय की खातिर फ़िर कभी कोई ना बौ
बुलंदशहर हाई वे गैंग रेप से सरकार हिल गईइससे मगर हमको भी नई जानकारी मिल गईअपराधियों के चित्र सदा से पुलिस के पास थेइस बार हल्ला मच गया तभी वो बदहवास थेचिन्हित थे जो पापाचारी उन्हे स्वतंत्र क्यूँ छोड़ासब आपस में मिलें हैं कोई भी शक नहीँ थोड़ाअब भ्रष्ट व्यवस्था पीडितों को न्याय दिलाएगीजेलों में तब तक
भगवान मुझे इंसान से तू जानवर बना देंकम से कम तब उम्र का मै ख्याल रखूंगाचाहे रहना पड़े फ़िर मुझको हर पल नग्नमादाओ के सीने पर तो ना कुदाल रखूंगासहमति संग नर मादा का मिलन हैं पावनउसमे गर शामिल ना हो लालची और धनशिव शक्ति का मिलन यही दर्शन महान हैजिससे हुए पैदा ये जमीं और आसमान हैंपथभ्रष्ट हैवानो ने पर स
चौबीस घंटों के चैनल हैं पूरे दिन कुछ तो कहना हैंजनता को बहलाने को नई नई बातें गढ़ते रहना हैंसही विषय पर काम के लिए पूरी मेहनत कौन करेजब बैठे रहते हैं सब तमाशबीन टीवी पर आँख धरेएक इंसा को सबने क्रिकेट का भगवान् बना डालासारे दिन बस शोर मचाकर भारत रत्न दिला डालाअपने कई गलत कामों से अब वो चर्चा में रहता
जिस समाज ने नारी को पुरुषों से कमतर आका हैंविपदाएं वहाँ भरी पड़ी हैं सुख आकर नहीं झांका हैंसकल विश्व में शांति आए आओ ये संकल्प उठाएनारी मन से तम मिट जाए घर घर ऐसे दिए जलाएजन्मदात्री नारी का दिल सॄष्टि नाशक नही होता हैंसंतानों के सीनों में वो मानवता का भाव पिरोता हैंविश्व की आग बुझाने को मातृ ह्रदय को
क्या करूँ अपनी हालत का कसूर इस दिल का है सारामुझे कैदी बनाने का हुनर तो तिल का है सारामैं तो नदिया का पानी हूँ मचलना मेरी फितरत हैमुझे बाहों में भरने का शगल साहिल का है सारातेरी ज़ुल्फ़ों के लहराने पे आशिक आह भरते हैंमगर उनको उड़ाने का करम अनिल का है सारारास्ते टेड़े मेड़े हैं चोट चलने से लगती हैदोष
अँधेरे जब कभी इंसान के जीवन में आते हैं तभी तो चाँद दिखता है ये तारे टिमटिमाते हैंसरद रातें हुईं लम्बी तो ग़म किस बात का प्यारे सुबह की आस में फिर से चलो दीपक जलाते हैंघना कोहरा है राहों में नज़र कुछ भी नहीं आता चलो फिर से मुहब्बत की घनी बारिश कराते हैंपात शाखों से झरते हैं रवि मायूस रहता है सृजन फि
दो दिल जहाँ नज़दीक हों और खुल के मन की बात होवो पल अगर तुम थाम लो हरदम सुहानी रात हो झुलसा सा तन उलझा सा मन और तुम कहीं से आ गएनभ में घटाएं छा गईँ कैसे ना अब बरसात हो ओस से भीगा समां और ठंडी ठंडी ये सुबहतुम ढली जाती हो मुझपे ज्यूँ महकता पारिजात हो प्यार का गुल खिल गया तो फिर ये मुरझाता नहींचाहे मुकद
ढूंढ़ते हैं हम जहाँ पे ज़िन्दगी मिलती नहींजाने ये किसका दोष है कलियां अब खिलती नहींपत्तियां इस पेड़ की खामोश हैं मायूस हैंजब हवा ही ना चले तन्हा ये हिलती नहींइस कदर कमज़ोर है कुछ आज धागा प्रेम कालाख कोशिश कर ले कोई चोटें तो सिलती नहीं गर्द इतनी जम चुकी है रिश्तों के संसार मेंकुछ भी कर लो मोटी परतें
तुम्हारे हुस्न के जलवे हमें अब भी सताते हैंहमें पर कुछ नहीं होता ये गैरों को जताते हैंतुम ही सच जानते हो बस गए कैसे निगाहों मेंमहज़ एक दोस्त हो गैरों को पर हम ये बताते हैंहमें तो बंदिशों ने ज़िन्दगी में ऐसा जकड़ा हैहाल ए दिल कह के ग़ज़लों में ही बस सबको सुनाते हैंयूँ तो झुकना नहीं सीखा हमनें रिश्तों
ये माना रास्ते मुश्किल हैं और मन उदास हैज़िन्दगी से नहीं शिकवा अगर रहती वो पास हैहर तरफ आग बरसे है कहीं बादल नहीं दिखतेधरा फिर से हरी होगी मगर पलती ये आस हैबेरुखी जिसने की मुझसे उसे मैंने वहीँ छोड़ामगर तुमको नहीं छोड़ा कहीं पे कुछ तो ख़ास हैमुझे मंज़ूर है सब कुछ मगर अपमान चुभता हैऐसे इंसान की सूरत क
कोई तो बात है अदावत है जो हमसे हज़ारों को चाँद को कुछ नहीं होगा जा के कह दो सितारों को जलो कितना भी तुम सूरज ताप अपना दिखाने कोरोक फिर भी न पाओगे तुम आती बहारों को मकां ऊंचा बनाने की हम ही तो भूल कर बैठेसमझ आता नहीं कैसे गिराएं अब दीवारों को कहीं गहराई जो होती तो हम भी सर झुका लेतेझुकाएं सर
बुलाता है वो अपना पास पर ना आग बाकी हैमधुरता खो गई गीतों में अब ना राग बाकी हैतपते जेठ की गर्मी में वो सावन की उम्मीदेंकहाँ झूलेंगी ये सखियां कोई ना बाग़ बाकी हैघाव तो भर गया लेकिन उन्हें समझाऊं मैं कैसेसदा आँखों में चुभता है वो अब तक दाग बाकी हैबसंती रिश्तों के रंग अब यहाँ मन को नहीं रंगतेकहने को त
मुहब्बत दिल में होती है मगर आँखें जताती हैंखुशबू प्यार की मुझको तेरी बातों से आती हैसभी कुछ पास है मेरे मगर फिर भी अधूरा हूँजिसे जाना कभी आवाज़ वो मुझको बुलाती हैभले वो दूर रहती हो मगर नज़दीक है इतनेकोई भी बात मन की मुझसे वो ना छुपाती हैमुहब्बत में सनम को जिसने भी अपना खुदा मानाकिसी के सामने वो उसके
ज़िन्दगी जी ले कोई क्या झमेले ही झमेले हैंभीड़ है हर तरफ लेकिन यहाँ फिर भी अकेले हैं बड़े आराम से वो भेष भी अपने बदलता हैमगर चालाकियों के खेल ये मैंने ना खेले हैं वो कहता है मैंने तो उम्र भर रिश्ते निभाए हैंमुहब्बत थी नहीं जिनमें ये सब तो ऐसी जेलें हैं आज चमकीला अपना वर्क वो सबको दिखाता हैज़रा तुम ग
मेरे दिल क्यूँ मचलता है तुझे तन्हा ही चलना हैआग अपने लगाते हैं तो फिर जलना ही जलना है हिम से खुद को ढके देखो वो पर्वत मुस्कुराता हैहवाएं गर्म हों उसको तो फिर गलना ही गलना है ख़ता मैंने करी है तो सज़ा भी मैं ही पाऊंगासूरते हाल हो कोई हाथ मलना ही मलना है वक्त ने तय किया जिस चीज़ को वो हुई हरदमसांझ आ ग
अँधेरा जब किसी इंसान के जीवन में आया हैतन्हा चलना पड़ा है साथ में रहता ना साया हैबड़ी मजबूरियों में रोशनी बिन उम्र गुजरी हैसफ़र ये ज़िंदगी का देख लो मैंने निभाया हैमुफलिसी दौर ऐसा है सभी पीछा छुड़ाते है अमीरों ने तो ऐसे वक्त में भी दिल दुखाया हैखुदाया खेल ये कैसे समझ आते नहीं मुझको वही तो मौज लेता है ज
तेरी खुशबू को मैंने अपनी सांसों में बसाया हैमुहब्बत का असल अंदाज़ ये मैंने निभाया हैमिले हो जब से तुम मुझको बहारें मुस्कुराई हैंसिवा तेरे ना कोई ख्वाब आँखों में समाया हैजिस घड़ी हाथ में लेकर ये पेशानी छुई तुमनेहर एक ग़म ज़माने का मैंने हँस के भुलाया हैतू ये माने या ना माने मगर सच तो न बदलेगातेरी याद
अधूरा हूँ तुम्हारे बिन तुमको अंदाज़ तो होगाअनकहा तेरे होठों पे कोई अल्फ़ाज़ तो होगाये माना देख चेहरे को बयां कुछ भी नहीं होतामगर दिल में छुपा रक्खा हो ऐसा राज़ तो होगाये सच है कुछ हवाओं ने नशेमन को उजाडा हैघरौंदे में नए जीवन का फिर आगाज़ तो होगाज़माने के चलन को देख के तुम चुप से रहते होमगर अपनी मुहब
कोई परदा नहीं जब बीच गैर हम हो नहीं सकतेकिसी और की बाहों में अब तुम सो नहीं सकते बड़ी मुश्किल से मिलती हैं दौलतें प्रेम की जग मेंकोई कीमत लगाओ अब इसे हम खो नहीं सकते मुहब्बत में खुदा एक दूजे को हम ने बनाया हैकोई नफ़रत के बीज बीच में हम बो नहीं सकतेपीर सीने में जो उठती है तुम कहाँ देख पाओगेदिखा के इस
वक्त की ज़द में कुछ भी हो तुम फिर भी रहना पड़ता हैतेरे बिन इस तन्हाई का ग़म मुझको भी सहना पड़ता हैकितना भी कोई संयम रख ले दर्द तो दिल में होता हैपीर बढे जब हद से ज्यादा उसको तो कहना पड़ता हैकितनी सूरत मिलती हैं इस नदिया को निज जीवन मेंइसके जल को लेकिन फिर भी हरदम बहना पड़ता हैकितना भी कोई गर्व करें
तुम सामने पड़े तो ये मन खुशियों से भर गयाढलका हुआ तेरा चेहरा भी थोड़ा निखर गयाखुशियाँ मिली थी एक तरफ़ मायूसी कम नहींगुल वो खिला गुलाब का कितना बिखर गयामन को मेरे तो चैन था हाथों में जब था हाथ छोड़ा जो तूने संग न जाने वो भी किधर गयाक्या तुमको अभी याद हैं लम्हें वो इश्क केजिनके लिए ये वक्त भी हँस कर ठहर
ढूँढते हैं निशां तेरे, जब भी बगिया में आते हैंमुहब्बत के गीत भंवरे, यहाँ अब भी सुनाते हैं ज़रा मौसम यहाँ बदला, डालियाँ सज गई सारी बिना तेरे फूल खिलते हुए, पर ना लुभाते हैंमैं तो चुप हूँ मगर, झरने तो हरदम शोर करते हैंतड़प के आह भर, ये तो तुम्हें अ
मुहब्बत कर तो ली मैंने, मगर लुट कर ये जाना हैमुकम्मल हो नहीं सकता, ये बस ऐसा फ़साना हैख्वाब तो लुट गए सारे, अब तो मायूस बैठा हूँटूटे ख्वाबों की लाशों को, उमर भर अब उठाना हैकोई दिल की नहीं सुनता, सभी रिश्तों के हामी हैंबड़ा नफरत भरा भीतर से, पर सारा ज़माना है वो करता है, वो डरता है, संवरता
लो वादा कर दिया मैंने तुम्हें ना याद करने कारकीबों को मिलेगा अब पूरा मौका संवरने कामेरी चिंता नहीं करना मौत मुझको ना आएगीमुझे मालूम है रस्ता हर एक ग़म से उबरने कासभी ये जानते हैं छोर पे उस कुछ ना पाओगेलेकिन मज़ा कितना है राहे उल्फ़त गुजरने काख्वाइशें तैरने की तो ज़माने भर की रहती हैंसफलता को मगर फन चा
किस्मत के धोखे,ज़िन्दगी में, जब भी आते हैंकुछ भी करो, दिल को मगर, वो तो दुखाते हैंकभी सोचा ना था, यूँ ज़िन्दगी भी, रूठ जाएगीकुछ अपने , मुझे तो कोस के , हरदम सताते हैं मेरी कमजोरियां, मुझपे हमेशा, राज करती हैंसितारे भी, नई कोई राह ना, मुझको दिखाते हैं बिना चाहत के रिश्तों के, बोझ सब, सह नहीं सकते मेर
एक तुम ही हो जिसने, मेरा जीवन संवारा हैमेरी इन धड़कनों ने नाम, बस तेरा पुकारा है मतलब का कोई खेल, न ये बातें मेरी समझोहर एक लफ्ज में मैंने दिया, तुमको इशारा हैएक तुम ही नहीं तन्हा, बेबसी मैं भी सहती हूँकितनी दुश्वारियों से वक्त, सोचो मैंने ग
तेरे मेरे बीच ना अब कोई दीवार हैजानेमन तू जान ले ये ही तो प्यार हैचढ़ गया एक बार तो उतरेगा ही नहींइस इश्क में होता सदा ऐसा खुमार है तू पास है मुझको पता चल ही जाएगा खुशबू भरी आती अगर कोई बयार हैतू मुस्कुरा रही है गर तन्हाई में कहीं फूलों में दिख जाती मुझको बहार है जो सुख मुझे तेरे क़रीब आने से मिलेमध
तेरी मेरी मुहब्बत का मज़ा अल्लाह भी लेता हैतभी कुछ दूरियां वो दरम्यान हम सबको देता है लाख कोशिश करी मैंने, और सबने भी समझायाये मन राहें मुहब्बत में, ना पर कहने से चेता है अब ये जां मेरी तुम ही कहो , आ
मुहब्बत तेरे सीने में, अगर मुझ सी पली होती कमी मेरी दो बाहों की, तुझे हरदम खली होतीअगर तुम साथ में रहते, तो रौनक बज्म में होती ये शब देखो निरी तन्हा, ना फिर ऐसे ढली होतीढूँढ़ने साथिया मन का, जब भी राहें चुनी मैंने काश उन राहों में शामिल, एक तेरी गली होतीकभी ऐसे भी
कोई नाता है जन्मों का, तभी तो याद आती हैतेरी हर चीज़ यूँ ही थोड़े, मेरे मन को लुभाती हैमेरे खूं का हर इक कतरा, खुशी में झूम उठता हैमुझे आवाज़ दे और मुस्कान दे, जब तू बुलाती है जब भी आगोश में भर के, तूने मस्तक ये चूमा हैहजारों फूल खिलते हैं, गीत धड़कन भी गाती हैतेरी ह
यूँ ही ना चैन से बैठो, ज़रा कोशिश तुम भी कर लोबेडियां तोड़ दो जग की, मुझको आगोश में भर लोनिभाते जाओगे क्या उम्र भर, केवल धरम अपनापरेशानी हर एक इंसान की, ना खुद के ही सर लो ज़माना क्या दिखेगा खुद ही गर, तुम उड़ नहीं सकतींएक परवाज़ ऊँची सी भरो, और फैला
तमन्ना कब हुईं तुमको, मेरे नज़दीक आने कीमुझे बाहों में भर के सांसों में, मेरी समाने कीमैं जिसमें घिर गया ऐसे, जो सारा होश खो बैठाकहानी कुछ तो बतलाओ, मुझे अपने फसाने कीछोड़ दो तुम सभी चिंता, भगा दो दूर हर डर कोकसम मैंने तो खा ली है, तुमसे रिश्ता निभाने कीमुहब्बत कोई भी कर ले, मगर ये सच ना बदलेगाहुस्न
यहाँ जिस चीज़ को चाहो, वही ना पास आती है ज़िन्दगी खेल में अपने, फ़कत सबको नचाती हैजो अपने पास होता है, कदर उसकी नहीं होती दूसरे की सफलता जाने क्यों, सबको लुभाती हैखिलाए गैरों के गुलशन, फक्र इसका मुझे हैं पर अपनी उजड़ी हुईं बगिया देखो, मुझको रूलाती हैकभी थी रोशनी जिससे, शमा वो अब नहीं दिखतीएक लपट आग क
छवि एक दूजे की दिल में, जहाँ में जब समाती है तभी बदनॉ को आपस में, महक फूलों की आती है अगर है मैल इस दिल में, हर इक रिश्ता हैं बेमानीना जाने क्यों मगर दुनिया यहाँ, इनको निभाती हैएक उल्फ़त के प्यासे को, जहाँ मिलती है ये दौलतदरो दीवार उस घर की, उसे हर पल बुलाती हैबड़ा
ढूँढते हैं तुम्हें जब भी, किसी महफिल में जाते हैंसिवा तेरे हाल ए दिल औरों को, हम ना बताते हैं ढूँढ़ने का सबब तुमको, जो कोई पूछे यहाँ हमसेकई बरसों की शनासाई है, फ़कत हम ये जताते हैंप्यार नज़रों से मिलता है, जुबां से फूल झरते हैंबोल मीठे तेरे दिल को हमारे, कुछ ऐसे सुहाते हैं
चाह फूलों की थी मुझको, मगर कांटों ने घेरा हैनज़ारा कौन सा कुदरत ने देखो, पर उकेरा है मुहब्बत की चाह रखना, गुनाह कोई नहीं होतामगर इस वक्त ने देखो, हर एक, सपना बिखेरा हैरात तन्हाई की देखो, अब तो इतनी हुई लम्बीना ही तो नींद आती है, ना ही, होता सवेरा हैखुशी की चाह में मैंने, कभी अपनों की ना मानीमेरे दिल
ये कैसा प्रेम है, मुझको नहीं तुम, याद करते होमैं कैसे मान लूँ, तुम मेरी छवि, सीने में धरते होदर्द तुमको अगर होता, तो चेहरे से, बयां होताजुदाई तुमको भाती है, तुम तो ऐसे, संवरते होबस एक सूरत है पहचानी, नहीं है, कोई भी नाता मेरे नज़दीक से, तुम तो फ़कत, ऐसे गुजरते होमुझे भी वो हुनर दे दो, फ़कत है पास, जो
जो तेरे हुस्न का, बस एक यहाँ, दीदार हो जाएहर एक इंसान को, केवल तुझी से, प्यार हो जाए मुकद्दर का सिकंदर, दिल की दुनिया, में बनेगा वोजिसका सजदा, तेरे दरबार में, स्वीकार हो जाएअगर तू मुस्कुरा कर के, निशानी कोई, मुझे दे दे तेरी हर चीज़ पे, मेर
तुम्हारे प्यार का, मुझको सदा, एहसास होता हैमुहब्बत का, मधुर रिश्ता, बड़ा ही खास होता है सुकूँ पाने की चाहत में, जतन कितने, किए मैंने मुझे तो, ज़िन्दगी मिलती है, जब तू पास होता हैकिसी को जीतना है तो, उसे बस, प्रेम से जीतोमुहब
निभाना ही नहीं तुमको, तो क्यों, रिश्ता बनाते होइतने नज़दीक आ कर के, कहो क्यों, दूर जाते हो ज़माने से डरे हो तुम, हर इक शमा, बुझा डालीअँधेरों में तन्हा कर के, मुझे, हर पल सताते होएक तेरा साथ क्या छूटा, मैं तो, ग़मगीन बैठा हूँकुछ अपनी कहो, दिन रात
सुन ले मैं, थक चुका हूँ, तेरे इंतज़ार मेंदूरी ये अच्छी नहीं, इतनी भी, प्यार मेंदुश्वारियां कबूल थी, जब साथ में, चलेखामोशी मगर, थी नहीं, अपने करार मेंमुझको, ख़बर हुई नहीं, तेरे मिजाज कीलेकिन, कमी ना है कोई, मेरे खुमार मेंजब से गए हो, तुम वहाँ, देता रहा सदाक्या तुमको, दर्द ना दिखा, मेरी पुकार मेंसहरा म
तुझको ख़बर, ए गुल नहीं, तुझ पर शबाब हैऐसा लगे, ज्यों इस पेड़ पर , लटकी शराब है नज़रों से मेरी, देख ले तू, खुद को, एक बार तुझको लगेगा, तुझ पे ये रूप , बेहिसाब हैमुझको थी तेरी जुस्तजू, पर, तू, गैर को मिलादोष दें, किसको यहाँ, मेरी किस्मत
मुहब्बत हो गई तुमसे, करे क्या, दिल ये बेचारातन्हा बैठा है यादों में, मगर हिम्मत, नहीं हाराआस तो अब भी, जिंदा है, इस जीवन के, मेले मेंमिलन होगा यहाँ, अपना भी देखो, फिर से दोबारानहीं है भूख, इस तन की, तड़प है, मेरे सीने मेंमैं तो असली, पुजारी हूँ, नहीं हूँ , कोई आवारानिक
आज, मेरी मुहब्बत की, तुम्हें ना कद्र, ज्यादा हैलगे, सब कुछ, भुलाने का, फ़कत, तेरा इरादा है अगर है, चाह इस मन में,, राह तो, बन ही जाएगी फिर तू, मजबूरियों का, क्यों यहाँ, ओढे लबादा हैबोझ, तन्हाइयों का, लो मैं फिर से, सर पे ले लूँगामैंने ग़म,
मुहब्बत, तूने दी मुझको, तभी मैं, हो गया तेरातू आई, मेरी बाहों में, मिटा है, कुछ तो अँधेराजब से, सूरज हुआ मद्धिम, बशर देखा, नहीं कोईमगर, उम्मीद थी दिल में, कभी फिर होगा, सवेराबहारें, जब भी आती हैं, शाख पे पात, उगते हैंचहकते, पंछियों का, फिर वहाँ, होता है बसेरादिल की, दुनिया में मैंने, अब तलक बस, हार
सुकूँ पाना ज़माने में कभी होता ना आंसा हैकमी जल की नहीँ है पर समुन्दर देख प्यासा हैराह मंज़िल की पाने को चला हूँ मैं तो मुद्दत सेमगर ना रोशनी बिखरी ना ही हटता कुहासा हैबड़ा मजबूत हूँ मैं तो दिखावा सबसे करता हूँ मेरे अशआर में पर हाल ए दिल का सब खुलासा हैगैर तो गैर थे पर चोटें तो अपनों ने दीं मुझकोमगर त
देखती हूँ तुझे तो मुझको ये अभिमान होता है सिमट के बाहों में तेरी कितना सम्मान होता है अपनी आँखों से तूने मुझपे जैसी प्रीत बरसाईवही पाने का बस मनमीत का अरमान होता हैदीवानापन ना हो दिल में तो संग कैसे रहे कोईमहल भी ऐसे लोगों का फ़कत वीरान
मैं तो तेरी दीवानी हूँ तू भी मेरा दीवाना हैंहर हाल में हमको तो ये रिश्ता निभाना हैतलाशा उम्र भर जिसको उसे मैं छोड़ दूँ कैसेमुहब्बत से भरा ए मीत तू ऐसा खजाना हैसुकूँ मिलता है मेरी रूह को जो गुनगुनाने सेओ मेरे साथियां तू ही तो वो मीठा तराना हैमुझे एहसास है देखो नहीं अब दूर तू मुझसेतभी तो बन गया ये आलम
मुहब्बत खुद उमड़ती है कभी हम तुम जो मिलते हैंमहकते फूल देखो कितने फिर बगिया में खिलते हैं भले आवाज़ ना आए पर हम सब कुछ समझ लेंगेतेरे लब क्या बताने को इतने धीमे से हिलते हैंकठिन राहों पे उल्फ़त की सभी तो चल नहीं पाते डटे रहते हैं जो इन पे बदन उनके ही छिलते हैंये क्या दुनिया बन
अब रिश्तों की बात न कर हर इक रिश्ता झूटा हैप्रेम का धागा सब रिश्तों में देखो लगभग टूटा है दर्द का बंधन ढूंढे से भी ना मिलता है अब जग में अपनों ने भी भेष बदलकर मुझको जमकर लूटा हैएक ममता ही सच्ची थी बाकी तो बस धोखा थाऐसी माँ का साथ भी तो आखिर में देखो छूटा हैखूब बजाकर देख लिया आवाज़
बड़े नज़दीक जीवन में अगर कोई भी आता हैसामने वो अगर आए तो मन थोड़ा लजाता हैसांस जोरों से चलती है नज़र उठती नहीं ऊपरहाल कुछ और होता है ना जो चेहरा दिखाता हैआज वो दूर है मुझसे मैं भी मशगूल हूँ खुद में मगर गुजरे हुए पल तो ये मनवा ना भूलाता हैमेरी मजबूरियां समझो और इस सच को पहचानोविछोह तुझसे मुझे अब भी अके
मिलन की चाह की देखो फ़कत बातें वो करता हैकभी कोशिश करे ना कुछ पास आने से डरता हैकोई सच्ची मुहब्बत अब न उसके पास है देखो मुझे भी इल्म है इसका मैंने कितनों को बरता हैमन की बगिया के सारे फूल अब मुरझा गए मेरीना वो आँखों में आँखें डाल अब बाँहों में भरता है वार मौसम भी करता है दोष उसका नहीं केवलहवाएं गर्म
बस तड़प तड़प में ही ये ज़िंदगी गुज़र गईदेने का वादा करा किस्मत मगर मुकर गईएक नशे में रह रहा था मैं तो पाल के स्वप्न असलियत से पर मेरी सारी चढ़ी उतर गईकोशिशें कितनी करीं हार तो ना बन सकामोतियों की माल हरदम टूट के बिखर गईज़िन्दगी की शाम में अब उम्मीदें क्या करेंकलियाँ खिलाती जो यहाँ दूर वो सहर
अब तुझको मेरे साथ की कोई ना आस हैतेरा काम तो निकल गया शक्ति भी पास हैतेरे आँसुओं के फेर में मैं फिर से लुट गया इक ये अदा तो हुस्न की सदियों से खास है उल्फ़त की राह में मिला मुझको फ़कत फरेबइसकी डगर न जाने क्यों आती ना रास हैमुझको सफ़र में ना
तेरी आवाज़ को सुनना सुकूँ एक रूह को देता हैशिकायत है मगर मुझको ख़बर तू क्यों ना लेता हैप्यार बरसेगा जो तेरा चैन कुछ आ ही जाएगामेरे जीवन के आँगन में बिछा बस सूखा रेता हैसमय के साथ मेरी नाव तो बस बह रही है अबलाख कोशिश करी मांझी मगर ना इसको खेता हैप्यार को बाँटता है जो वही तो प्यार पाएगाबिना कारण ही तू
दर्द ए दिल का मज़ा लेना है थोड़ी चोट तुम खा लो पास हो के भी जो बस दूर हो इक ऐसा सनम पा लोमुकद्दर साथ ना दे गर मुहब्बत मिल ना पाएगीप्रेम गीतों को अपने दिल से चाहे लाख तुम गा लोदीवारें मन में खिंच जाएं तो वो गिरती नहीं पल मेंलाख कोशिश करोगे चाहे तुम कि उनको अब ढा लोअगर खुल के ना बरसोगे बहारें कैसे आएंगी
कोई तो बात है तुझ में तू इतना याद आता है इक तेरा प्यार ही मुझ में उमंगों को जगाता है कई जन्मों का नाता है सदा मुझको लगे ऐसामुहब्बत वरना कोई इस तरह थोड़ी लुटाता हैमुझे महसूस होता है कोई ना झूठ है इस मेंअपनी पलकों पे तू ही फ़कत मुझको बिठाता हैमुहब्बत के सिवा मैं तो तुझे कुछ दे नहीं पाईमेरे नखरों को
तुम्हारी प्रीत के बिन तो बड़ा मुश्किल ये जीना हैमुझे तो ज़िन्दगी का जाम नज़र से तेरी पीना हैना मेरे मर्ज को समझा ना मेरे दर्द को समझाबड़ी बेरहमी से तुमको उन्होंने मुझसे छीना हैदिन भी लम्बे हुए हैं कुछ और तू पास ना आए मेरे किस काम का खिलता बसन्ती ये महीना हैमेरी उजड़ी सी दुनिया देख वो ही मुस्कुराएगापतंग
किसी के प्रेम की देखो राह अब भी मैं तकता हूँमेरी उम्मीदें टूटी हैं मगर फिर भी ना थकता हूँमेरे दिल में ज़रा झांको जख्म अब ही हरे होंगे बड़ी शिद्दत से मैं उनको गैर लोगों से ढकता हूँमुहब्बत की प्यास मेरी ना मिटने पाई है अब तकएक दो जाम पीने से फ़कत मैं तो ना छकता हूँमेरे दिल का दर्द देखो यूँ ही कम हो ना पा
पास हो तुम दिल के इतने कैसे मैं तुमको छोड़ दूँजिसमें हैं बस छवियां तेरी वो आईना क्यों तोड़ दूँअविरल धार स्नेह की जो बहती है जानिब तेरेइसका रुख क्यों गैरों के मैं कहने भर से मोड़ दूँ प्रेम का रिश्ता ये हरगिज़ ख़त्म हो ना पाएगातू कहे तो एक नाम देकर सम्बन्ध अपना जोड़ दूँहाथ कोई गर तुझे छूने की हिम्मत भ
था मुकद्दर सामने पर भूल हम से हो गईज़िंदगी की राह भटके मुस्कुराहट खो गई झूठ का पहने लबादा साथ में वो आ गया मन में मेरे बात उसकी बस ज़हर सा बो गई रोशन करेंगे रास्ता सोचा जली मशाल सेइस शमा की रोशनी भी ज़िंदगी से लो गई साथ आएगा कोई तो कुछ नया होगा
नज़रें चुरा ली आपने देख कर ना जाने क्योंमन में हम बसते हैं तेरे बात अब ये माने क्यों जानते थे जब ज़माना ख़ुदगर्ज होता है बहुत चल पड़े तेरी मुहब्बत फिर यहाँ हम पाने क्यों कुछ हश्र देखा है बुरा चाहत का इतना दोस्तोंसोचते हैं ये ह
चाह तुझसे मिलन की जब तलक सीने में जिंदा हैबड़ा बेचैन सा रहता मेरे मन का परिंदा हैमुहब्बत को बनाया पर सही ना साथ मिल पायापरेशां इस जमीं पर देख लो हर इक बाशिंदा हैचोट सीने पे लग जाए बिखर जाती हैं खुशियां भी कोई बनता है फिर साधू कोई बनता दरिंदा हैप्रेम होता नहीं सबको प्रेम की बातें हैं सारी हर इक रिश्त
शहीदों की चिताओं पर उठी पीड़ा के लहरें हैं मगर सोचो ज़रा हम ही तो असली अंधे बहरे हैसोचते रहते हैं एक दिन शेर भी घास खाएगाजेहादी बुद्ध बन सबके दिलों के पास आएगाअरे कश्मीर में गर तुमने बाकी देश ना भेजाकभी भूभाग तुमसे जाएगा न ये फिर तो सहेजाकत्ल तुम लाखों द्रोहियों का यूँ ही कर नहीं सकतेये अलगाव के नारे
मुहब्बत जिससे होती है सुगंध एक उसमें आती हैउसे पाने की चाहत फिर जो बस मन में जगाती हैये चेहरा कुछ नहीं दिल से जुड़ा एक आईना समझोजो मन में चल रहा है बस वो ही सूरत दिखाती हैचाह जिसकी करी वो ही तो देखो ना मिला मुझकोज़िन्दगी की ये सच्चाई तन्हा मेरे दिल को दुखाती हैछवि महबूब की जिसने बसाई हो फ़कत दिल में
कोई रिश्ता फ़कत इक नाम से ना खास होता हैमुहब्बत जो भी बांटेगा वो दिल के पास होता हैपरेशां मन जो रहता है गैर दोषी नहीँ इसके मेरे घर में ही कुछ खामी है ये एहसास होता हैबात कितनी करे कोई अगर उल्फ़त नहीं दिल मेंदूरियों का हर समय बीच में आभास होता है कोई गैरों की पूजा में ही
मिलन की आरजू पे डर ज़माने का जो भारी हैतेरी मेरी मुहब्बत में अजब सी कुछ लाचारी हैदोस्तों दोस्ती मुझको तो बस टुकडों में मिल पाईबड़ी तन्हा सी मैंने ज़िन्दगी अब तक गुज़ारी हैभले तुम अजनबी से अब तो मुझसे पेश आते होतेरी सूरत ही मैंने देख ले दिल में उतारी हैभुलाना भी तुम्हें अब तो कभी आसां नहीं लगता मेरे
जिसे तुम ज़िन्दगी में सबसे ज्यादा प्यार करते होझिझक को छोड़ कर पीछे उसे बाँहों में भरते होज़मीं का साथ पाकर ही शज़र पे रंग आता हैचुकाने को कर्ज थोड़ा फूल तुम उस पे झरते होतेरे सीने से लगने की तमन्ना दिल में रहती हैमेरी हर एक पीड़ा तुम बड़ी शिद्दत से हरते होमुझे उन राहों पे चलने से हरदम मान मिलता है
मुझे तू प्यार करता है तो मैं सिमटी सी जाती हूँखुशी से झूम उठती हूँ लाज संग मुस्कुराती हूँमेरे मन में उमंगों का बड़ा सा ज्वार उठता हैमगर मैं हाले दिल तुमको नहीं खुलकर बताती हूँमेरे हर क़तरे क़तरे में तेरी छवियां समाई हैमगर न जाने क्यों मैं प्यार अपना न जताती हूँनज़र लग जाए न अपनी मुहब्बत को कभी जग की
सोचा किए जो वो ना हुआ कुछ तो बात हैदिन का समय भी आएगा गर आज रात हैआज वो ऊँचा भी है और डालियां हैं संग पर जमीं पे एक दिन गिरता ये पात हैकोशिशें करता है जो वो जीत जाएगा वक्त से हर शै को तो मिलती ही मात हैअब क्या करें शिकायतें उस इंसान से यहाँजिसके लहू में बह रहा बस एक घात हैज़िन्दगी मधुकर चले बस निज उ
तेरी आवाज़ ही अब तो बनी मेरा सहारा हैहजारों फूल खिलते हैं तूने जब भी पुकारा हैतू मेरी सांस बनके इस तरह जीवन में छाया है तेरे बिन ज़िन्दगी का अब नहीं होता गुजारा हैमुझे कड़वे सचों ने ज़िन्दगी के तोड़ डाला था मेरी उजड़ी सी हस्ती को फ़कत तूने निखारा हैबसी हूँ जब से पलकों में वहीं महफूज़ हूँ हरदम
तू जब भी पास होता है समय ये थम सा जा हैतेरी बातों में मेरा मन अचानक रम सा जाता हैदर्द मेरे भी दिल में था सुकूँ पर ना दिया रब ने मिला है तू मगर जब से हुआ ये कम सा जाता हैमिला जो तू मुकद्दर से खुशी इतनी मिली मुझकोये आंसू आँख को मेरी करे अब नम सा जाता हैमुहब्बत में लहू बन के तू जो नस नस में आ बैठा
मन की हर बात करने का मेरा मन तुझसे करता हैतेरे हर लफ्ज का मरहम मेरी पीड़ा को हरता हैमेरी झोली किसी के प्यार से महरूम थी अब तकतू दोनों हाथों से इसको सदा हँस हँस के भरता हैतू मेरे साथ है जब से मुझ को चिंता नहीं रहतीतन्हा इंसान ही बस हर समय गैरों से डरता हैअलग इंसान होते हैं फ़कत कातिल ज़माने मेंये जज्बा
मधुर मिलन की है आस मन में कोशिश जरा तो कर लो मुझको लगाओ सीने से अपने बाहों के बीच भर लो ये जिंदगी है कुछ पल का मेला सोचो ना हद से ज्यादा औरों की सुन के देखो ना हरदम सूनी कोई डगर लो दिल में छुपा के कब तक रखोगे मन जो भी कह रहा है अधरों के बीच तुम भी सनम ए मेरी ही सांस धर लो इंसान हो तो इंसा रहो ना भगव
वो जादू है मुहब्बत में जवां जो मन को करता है ना जाने फिर भी क्यों इंसान प्रीति धन को करता है बोल वो प्यार के तेरे समां जाते हैं नस नस में लहू सा बन के फिर ये प्रेम शीतल तन को करता है मुहब्बत की आस पाले नाचते मोर को देखो मोरनी से मिलन को प्यार वो इस घन को करता है मुहब्बत के वार से ही उसने दुनिया हरा
अगर प्यार होता नहीं मेरे मन में तो कैसे मैं इसका इकरार करती कितना भी चाहे तू मुझको लुभाता इसका ना हरगिज मैं इजहार करती औरत के मन में बसे गर ना कोई उससे वो फिर दूरियां है बनाती फिर भी अगर कोई पीछा करे तो ऊंची मैं छिपने को दीवार करती राहों में तेरी पलके बिछा कर बैठी हूँ कब से तुझे देखने को अगर मेरे दि
ए हमदम मेरे और दीवाने मेरे मैं भी देख दीवानी बन गई हूं मुहब्बत का तेरी ऐसा असर है हरी बेल सी आज मैं तन गई हूं मेरा मोल समझा ना पहले किसी ने मुझको फकत एक नाचीज समझा तूने मोल मेरा है जब से बताया अब तो मैं अनमोल बन धन गई हूं अकेली थी जब तो हिम्मत नहीं थी चारो तरफ नाग लहरा रहे थे जब से मिला है तेरा साथ
कैसे दर्द ना हो मुझे तुम भी बदल गए अरमान मेरे कदमों तले सारे कुचल गए यूं तो है भीड़ हर तरफ तुझ सी ना बात है देखा है तुझको जिस घड़ी आशिक मचल गए अब वो कभी ना आएगा मुझसे है कह रहा बिजली गिराओ ना सुनो दिलबर दहल गए अच्छी नहीं ये बात सनम सब कुछ भुला दिया उनकी भी कुछ तो सोच जो करते पहल गए भूलो ना प्यार से
तुमको तलाशते रहे तुम ना मिले मुझे हरदम रहेंगे जान लो कुछ तो गिले मुझे सब कुछ लुटा दिया फकत इक बोल पे तेरे मिल जाते काश इसके एवज कुछ तो सिले मुझे इक प्यार तेरा गर यहां मुझको नसीब हो मिट्टी लगेंगे जान लो ये सब किले मुझे है फूल का सा मन मेरा फिर भी उदास हूं मुद्दत हुई है देख लो कितनी खिले मुझे मधुकर ने
त्तुम्हारे पास जीने के सुनो कितने सहारे हैं मैंने तो उलझनों में बिन तेरे लम्हें गुजारे हैंकोई भी दर नहीं ऐसा जहां पे चैन जा मांगूतेरे आगे तब ही तो हाथ ये दोनों पसारे हैंदर्द सहता रहा हूं मैं दवा मिलती नहीं कोईछुपे शायद इसी में जिंदगी के कुछ इशारे हैंभले ही तुम जमाने के लिए सच से मुकर जाओमेरी धड़कन क
असली लगाव हो तो रस्ते बन ही जाते हैं मिट्टी से मिल मुरझाए पौधे तन ही जाते हैं सब दूर हमसे हो रहे फिर भी ना सोच क्या हम उनको समझ अपना लगाए मन ही जाते है किसको कहां परवाह कि वो दिल में बसाएगा अब तो अच्छे लगे हैं जो लुटाए धन ही जाते हैं सही क्या है गलत क्या है यहां जो भी बताएंगे सयाने स्वार्थी लोगों मे
यूं तो दीवाने कई पर ना कोई अपना हुआ सोचते ही रह गए बस पूरा ना सपना हुआ ढूंढते ही रह गए हैं ना खुदा मुझको मिला उम्र गुज़री जाए है बेकार जप जपना हुआ कोई पढता भी नहीं चाहे रहूं मैं सामने बेवजह अखबार में देख लो छपना हुआ अजनबी सा अब वो पेश आ रहा है दोस्तों बेकार ही अपना तो उसके साथ में खपना हुआ सोचते थे