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माँ-बाप के पैर छुए हुआ एक जमाना

hindi articles, stories and books related to Maa-baap ke pair chhu hua ek jamana


कवि: शिवदत्त श्रोत्रियछोड़ा घर सोच कर, किस्मत आजमाना पर क्यों ना लौट मैं, कोई करके बहाना जन्नत ढूंढता था, जन्नत से दूर होकर माँ-बाप के पैर छुए हुआ एक जमाना ॥

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