माँशाम के साढे़ छह..... पौने सात बजे का समय रहा होगा। एक अनीश नाम का लड़का, दुकान पर आता है, गांव का रहने वाला था, वह चतुर व चालाक था।उसका बातें करने का तरीका गांव वालों की तरह का था, परन्तु बहुत ठहरा
माँमाँ हर गम की दवा होमाँ हर बदुआ की दुआ होमाँ हर मुश्किल की तुम हल होमाँ तुम चलती फिरती बैंक होमाँ तुम हर रिश्ते की तुरपाई होमाँ तुम ही तो खुशियों की चाबीफिर माँ क्यों रहती हो तन्हाई मेंकभी क्य
मध्यप्रदेश के रायसेन किले से जुड़े संघर्ष में 701 राजपूतानियों के जौहर को आज 490 साल पूरे हो गए हैं। मुगलों के आक्रमण के दौर में जौहर की इस कहानी के बारे में कम लोग ही जानते हैं।छह मई 1532 को रानी दुर
राव हम्मीर देव चौहान रणथम्भौर "रणतभँवर के शासक थे। ये पृथ्वीराज चौहान के वंशज थे। इनके पिता का नाम जैत्रसिंह था। ये इतिहास में ''हठी हम्मीर के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं। जब हम्मीर वि॰सं॰ 1339 (ई.स.
माँ : जिसके बिना हमारा अस्तित्व नहींमाँ एक मिश्री घुला शब्द है जिसकी व्याख्या नहीं हो सकती । वह एक ऐसी शख्सियत है जो हर कीमत पर संतान का साथ देती है। स्नेह और देखभाल का इससे बड़ा दूसरा उदाहरण देखने मे
आज मातृ दिवस है हर साल मई के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाने का फैसला किया गया था। इस संसार में जन्म लेते ही बच्चा सबसे करीब अपने माँ के पास होता है। वह माँ के स्तनो के बीच अपने आप को पाता है।व
मेरी श्वासों में श्वास है मेरी मां।मेरे दिल में धड़कती हुई धड़कनें है मेरी मां।आसमान से ऊंची है मेरी मां।सागर से गहरी है मेरी मां।।मेरे सपनों में बनकर सपना रहती है मेरी मां।मेरी उम्मीदों में नव किरण ह
मेरी श्वासों में श्वास है मेरी मां।मेरे दिल में धड़कती हुई धड़कनें है मेरी मां।आसमान से ऊंची है मेरी मां।सागर से गहरी है मेरी मां।।मेरे सपनों में बनकर सपना रहती है मेरी मां।मेरी उम्मीदों में नव किरण ह