आज मातृ दिवस है हर साल मई के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाने का फैसला किया गया था।
इस संसार में जन्म लेते ही बच्चा सबसे करीब अपने माँ के पास होता है। वह माँ के स्तनो के बीच अपने आप को पाता है।वह नौ महीने माँ के गर्भ में रहता है जैसे ही जन्म लेता है एक नया संसार पाकर वह रोने लगता है तब एक माँ का सीना ही उसका गर्भ के समान वातावरण निर्मित करता है। जन्म लेने के दिन से लेकर मृत्यु तक एक स्त्री ही उसका सहायक होता है। माँ पाल पोषकर बच्चे को बड़ा करती है। उसे शिक्षा प्रदान करती है। युवा होने पर उसके विवाह का खर्च भी उठाती है। चाहे कितना भी बड़ा हो जाए वह अपने माँ के लिए एक बच्चा ही है।सबसे बड़ा दुख तब होता है जब माँ अपने बच्चे को अपने मृत्यु के पहले खो देता है। याने जीते जी अपने लाडले की मृत्यु को सह नही पाती।
माँ का आंचल ही उसे सुकून प्रदान करता है।बच्चा प्रेम करना माँ से ही सीखता है। इन्सान अपनी पत्नी में कही न कही अपने माँ का रुप ही तलाशता है। इन्सानो में ही क्या जानवरों में भी माँ का योगदान महत्वपूर्ण हैं।माँ उसे इस काबिल बनाती है कि वह अपने पैरो पर खड़ा हो सके।
हम माँ के दर्जे को और ऊँचा मानते हैं।हमने धरती को अपनी माँ माना व पूजा है। क्यो? धरती अन्न उगाती है हमे पोषण व आश्रय प्रदान करता है। यही से खनिज सम्पदा व जल हमे प्राप्त होता है । जो सुखमय जीवन के लिए उपयोगी है। हम अपने देश राष्ट्र को माँ का दर्जा देते है जिस पर हम पले बढ़े हैं। इस ब्रह्मांड को चलाने वाले शक्ति को हम माँ कहते हैं। हम भगवान को माँ कहते है। रामकृष्ण परमहंस ने उस अदृश्य शक्ति को माँ कहाँ है। चलते चलते मुन्नवर राना की पंक्तियां ----
किसी के हिस्से में दुकां आई
किसी के हिस्से में मकां आई
मै घर में सबसे छोटा था,
मेरे हिस्से में माँ आई।
save tree🌲save earth🌏&save life❤