"वंदगी में गंदगी" जिंदगी और वंदगी में गंदगी किसी की भी हो , कैसी भी हो, उसे स्वीकार करना उसको प्रसरय देना मानव हित में न आज तक हुआ है और न ही कभी होगा। चंद स्वार्थ चित्त मन, जब भी हमारी हथेली में चाँद दिखाते है हम अपना सर्वस्व समर्पण कर देते है। इतना तो विवेक होना ही चाहिए कि चाँद हाथों संग नहीं ता