सुंदर हैं वो अधर, मेरे शब्दों में जो भरते हैं स्वर...ओ संगनिष्ठा, मेरे कोरे स्वर तू होठों पे बिठा,जब ये तेरे रंगरंजित अधरों का आलिंगन ले पाएंगे,अंबर के अतिरंजित रंग इन शब्दों मे भर जाएँगे।शब्दों के मेरे रंगरंजित स्वर, रंग देंगे ये तेरे अधर...ओ बासंती, कोकिल कंठ तू शब्दों को दे जा,प्रखर से ये तेरे स्