shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

आशिकी मेरी तुमसे!

Mr Rishi

0 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
निःशुल्क

ये कहानी शुरू होती है एक बड़े से बंगलो से जिस के बाहर एक नेम प्लेट लगा हुआ था। जिस पे सिंघानिया निवास लिखा हुआ होता है।बंगलो के बाहर बहुत सी रंग बिरंगी महंगी महंगी गाड़िया लगी होती थी। नौकर चाकर अपने अपने काम में व्यस्त थे, कोई कार साफ कर रहा था ,तो कोई पौधों को पानी डाल रहा था। तभी अंदर से विक्रम सिंघानिया अपनी बेटी को आवाज देते है,"श्रद्धा, बेटी आज कॉलेज नहीं जाना हैं क्या?"... श्रद्धा अपने कमरे में अब तक सो रही थी, सूरज की रौशनी खिड़की से अन्दर आ रही थीं। कमरे में जहा ताहा कपड़े और किताबे बिखरी पड़ी हुई थी। तभी वहा एक नौकर आता है उसके हाथ में कॉफी और पानी का ग्लास था। ओ अन्दर आता है और उसे पास के टेबल पर रखते हुए वही खड़ा हो कर कहता  है"छोटी मालकीन आपकी कॉफी आ गई हैं।"इतना कहता हैं और वहा से बाहर निकल जाता है। श्रद्धा अंगड़ाई लेते हुए,अपने कम्बल को साइड करती है और उठ कर बिस्तर पर बैठ जाति हैं। और पास के टेबल पर से पानी का ग्लास उठाती है।और पानी पी कर टेबल पर  रखते हुए कॉफी का कप उठाती  है,और कॉफी पीने के बाद ओ अपने बिस्तर से उठती है और वाशरूम जाते हुए आवाज़ देती है"आज मैं ब्रेकफास्ट बाहर ही करूंगी!".....इतना कहती है और फ्रेश होने चली जाती है। बाहर श्रद्धा के पिता ब्रेकफास्ट कर रहे होते है, श्रद्धा जल्दी जल्दी में अपने कमर से बाहर निकलते हुए नीचे आती है।और अपने पापा को good morning कहते हुऐ टेबल से एक फ्रूट उठाकर खाने लगती है । उसके पिता उसे ब्रेकफास्ट करने को कहते है"बेटी ब्रेकफास्ट तो कर लो!".... No dad, i m already late for the class, मैं बाहर ही कुछ खा लूंगी!"....इतना कहते हुए वो बाहर चली जाती है। बाहर उसके लिए कार लगीं हुई थी। वो जा कर उस में बैठ जाति है। तभी श्रद्धा का फ़ोन बजता है! जब देखती है,तो करण का कॉल होता है। श्रद्धा कॉल उठाते हुए कहती हैं"हेलो करण "..... तभी करण उधर से बोलता है"I Love you baby, कहा हो?".... Love you too baby मैं बस आही रही हूं।, अभी अभी घर से निकली हू बस थोड़ी देर में पहुंच जाऊंगी।"....."ok byy आओ फिर आराम से बात करते है।"..... करण ये कहते हुए कॉल रख देता हैं। करण अपने दोस्तों के साथ बाहर बाइक पर बैठा हुआ था और जो भी जूनियर स्टूडेंट्स आ रहे थे वो सब उनकी रैगिंग कर रहे थे। किसी को डांस करने के लिए कहते हैं, तो किसी को गाने के लिए । तभी वहा एक मोटा सा लड़का आता है। वो सब उसका मज़ा उड़ाने लगते है।ये सब चल ही रह होता है,तभी वहा एक कार आ कर रुकती है। जिसमें से श्रद्धा उतरती है, कॉलेज के सारे लड़के और लड़कियां उसे ही देखे जा रहे थे।.... "Welcome my dear love "करण श्रद्धा के पास ये कहते हुए जाता है। और उसे गले लगा लेता है, जब सब लड़के ये देखते है, की करण की girlfriend है तो सब नजरें फेर लेते है। कॉलेज में शायद ही कोई होगा जो करण खुराना को नही जानता होगा। दरअसल करण के पिता एक नेता है, और उस कॉलेज के डायरेक्टर उसके पिता के दोस्त । यही वजह है की सब करण से पंगा लेने से पहले सौ बार सोचते है।  तभी वहा श्रद्धा की कुछ दोस्त आती है और श्रद्धा को अपने साथ चलने को बोलती है"श्रद्धा चल मेरे साथ तुझे कुछ दिखाना है"... श्रद्धा करण को" बाय"बोलकर उनके साथ चली जाती है। करण भी दूसरों की रैगिंग करने में लग जाता है,तभी वहा ऋषि आता है। करण के दोस्त उसे रोकते हुए कहते है"अरे ओ देसी मुर्गे इधर आ,"..... ऋषि बहुत ही सिम्पल कपड़े और छोटे बाल रखा था यही वजह है की सब उसे देसी मुर्गे कह कर चिढ़ा रहे थे। ऋषि उनके पास जा कर खड़ा हो जाता है, तभी एक लड़का ऋषि का बाग लेकर बोलता है,"चल तू नाच के दिखा".... ऋषि कुछ नही बोलता हैं चुप चाप वही पर खड़ा रहता है। तभी करण बोलता है,"नही यार जब से आए है , नाच गाना ही हो रहा है,मजा नहीं आ रहा है। इससे कुछ अलग करवाना पड़ेगा। .. तभी करण ऋषि से से कहता है"तेरे लिए एक सिम्पल सा काम है, ओ जो लड़की वहा खड़ी है ना जा उसे i Love you बोल के आ।"..... ऋषि उस लड़की के तरफ़ देखता है, तो ओ लड़की कोई और नही बल्की श्रद्धा होती है। ऋषि चुप चाप करण की बात मान लेता है पास में ही गुलाब का पौधा था ऋषि एक गुलाब तोड़ता है और श्रद्धा की ओर जाने लगता है।,,,, सब की निगाहें ऋषि पर थी, सबको ऐसा लग रहा था की आज ऋषि की खैर नहीं हैं, करण भी बहुत मज़े लेते हुए हंस रहा था।तभी करण का एक दोस्त बोलता है,"भाई आज तो समझो ये गया" श्रद्धा अपनी दोस्तों से बातें कर रही होती है, तभी वहा ऋषि आकार श्रद्धा के दोस्तों से कहता है,"excuse me क्या दो मिनट के लिए मैं इनसे अकेले में बात कर सकता हूं।" .... श्रद्धा सोचने लगती है की (आखिर ये मुझसे अकेले में क्या बात करना चाहता है?) श्रद्धा अपनी दोस्तों को जाने के लिए कहती है,तभी ऋषि अपने पिछे से गुलाब का फूल निकलता है और श्रद्धा को देता है। ये सब दूर खड़ा हो कर करण देख रहा था। श्रद्धा करण के तरफ देखती है,और हस्ते हुए ऋषि के हाथों से ओ गुलाब का फूल ले लेती है। सब ये देख कर हैरान रह जाते है। करण ये सब देख कर गुस्से से लाल हो जाता है।,,,  तभी करण का दोस्त बोलता है,"ये क्या हो गया भाई?भाभी ने तो गुलाब का फूल ले लिया आखिर क्या कहा होगा जो भाभी हस्ते हस्ते गुलाब का फूल ले ली है!" करण ये सब देख कर गुस्से से आंख लाल करके ऋषि के तरफ देख रहा होता है।ऋषि करण के पास आता है और अपना बैग वहा से उठा कर क्लॉस के तरफ जाने लगता है। आखिर ऋषि ने श्रद्धा से ऐसा क्या बोला होगा जो श्रद्धा ने ऋषि के गुलाब को एक्सेप्ट कर ली?और अब क्या होगा आगे की कहानी में ये जानने के लिए पढ़ते रहिए FAKE BOYFRIEND सिर्फ और सिर्फ पॉकेट नोवेल पर। 

aashiki meri tumse

0.0(0)

पुस्तक के भाग

no articles);
अभी कोई भी लेख उपलब्ध नहीं है
---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए