संभव है आप हमारे विचारो से सहमत न हो ……….
लोकसभा चुनाव के समय हिन्दुओ का मोदी प्रेम तथा मुस्लिमो का मोदी विरोध पूरी दुनिया मैं स्पष्ट था ।..
जिस समय पूरी दुनिया मोदी के खिलाफ थी उस समय हिन्दुओ ने खुल कर मोदी को पूरा सहयोग दिया ।
हिन्दुओ ने मोदी जी को भारत के हिंदुत्व युक्त विकाश के लिए वोट दिए थे और प्रधानमन्त्री बनाया था ।. नाकि सेकुलरता का राग अलापने के लिए...
हमारे सभी प्रेमी- परिचित- शिष्य गण आदि ये जानते हैं की हम सनातन हिन्दू राष्ट्र धर्म संस्कृति की सेवा मैं समर्पित होते हुए भी राजनीति मैं विशेष रूचि या प्रवेश नहीं रखते । तथापि लोकसभा चुनाव के समय हमने भारत के हिंदुत्व युक्त विकाश और रक्षा के लिए अपने सभी सत्संग कथा वार्ताओं मैं भगवत प्रसंगो के साथ बी. जे . पी .और मोदी जी को वोट देने का स्पष्ट आदेश और निवेदन किया था ।.
चुनाव के समय अपने कार्यक्रम मैं आवश्यक समयादि परिवर्तन करके ,, 150 किमी की यात्रा करके वोट भी दिया किसलिए …. सिर्फ भारत के हिंदुत्व युक्त विकाश और रक्षा के लिए,, सनातन राष्ट्र धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए …. ओर ऐसा केवल हमने ही नहीं किया आपने और सभी राष्ट्रवादीयो ने भी किया ।. आज सत्यता है की यदि निष्पक्षता के साथ विचार किया जाये तो मोदी जी को अभी विदेश यात्रा और सम्बन्धो की बजाय भारत पर ध्यान देना चाहिए
हम चाहते थे सबसे पहले हिन्दुस्तान मैं हिन्दुस्तान की , हिन्दू की ,हिंदुत्व की ,धर्म की ,संस्कृति की स्थिति ठीक हो । किन्तु दुर्भाग्य ।.. मोदी जी तो पी . एम . बनते ही पहले हिन्दुस्तान मैं हिन्दुस्तान की , हिन्दू की ,हिंदुत्व की ,धर्म की ,संस्कृति की स्थिति को ठीक करने की जगह विदेशो की यात्राओ पर लग गए जो पिछले कई वर्षो से रुकी हुई थी ।. बहाना भी क्या खूब है की विदेशो मैं भारत की स्थिति मजबूत करनी है ,,
सिर्फ एक बात जानना चाहते है । एक आम भारतीय को विदेश मैं भारत की मजबूत स्थिति से क्या लाभ मिलेगा ,, यहाँ की महगाई , यहाँ के दंगे , हिन्दुओ की बहिन - बेटियो- धन- संपत्ति की रक्षा , धर्म संस्कृति की रक्षा मैं विदेश मैं भारत की मजबूत स्थिति की क्या भूमिका है ।.
क्या भारत का आम आदमी विदेशो से कोई संपर्क रखता है ।.
ध्यान दीजिएगा विदेशी शासक तो यही चाहते हैं की भारत के नेताओ को भारत पर ध्यान मत देने दो । उनको बाहर का चश्का लगा दो । जिसको जो चाहिए वो दो, किन्तु भारत की मूल समस्याओ से दूर रखो । उनको सेक्युलर बनाओ । विश्व शान्ति दूत बनाओ । नोबेल पुरस्कार का झुनझुना दिखाओ ।. वीटो पावर मैं फँसाओ ।. कुछ भी करो . बस हिन्दुस्तान मैं हिन्दुस्तान की , हिन्दू की ,हिंदुत्व की ,धर्म की ,संस्कृति की स्थिति को ठीक करने से रोको ।
और इस जाल मैं मोदी जी फंसे हुए दिख रहे हैं ।.... और मोदी सपोर्टरों को भी सिर्फ यही दिखाई दे रहा है --- मोदीकी वजह से विदेशो मैं पहली बार ये हुआ पहली बार ये हुआ , अगर विदेशो मैं ये सब कुछ नहीं होगा तो क्या भारत का अस्तित्व नष्ट हो जायेगा ।l
संभवतः सनातन हिन्दू धर्म ग्रंथो मैं इसीलिय विदेश यात्रा का निषेध है और विदेश यात्रा करने पर प्रायश्चित्त का प्रावधान है ।.
कुछ लोग कहते हैं की बस वीटो पावर मिल जाए फिर सब ठीक हो जायेगा ।. क्या वीटो पावर मिलते ही मोदी सब देशद्रोही , आतंकवादी , मजहबी कट्टर पंथियों को गोली से उड़वा देंगे ।. क्या विश्व मैं जिन देशो को वीटो पावर नहीं है वो सब अपने देश के साथ भारत के नेताओ ओर मोदी जी की तरह ही काम कर रहे हैं ।
क्या इजरायल , वीटो पॉवर के चक्कर मैं अपने देश हित से समझोता कर रहा है ,, क्या पाकिस्तान , बांग्लादेश , अफगानिस्तान , अरब आदि देशो के नेता इस वीटो पॉवर और विश्व मैं मजबूती के चक्कर मैं अपने अपने राष्ट्र धर्म संस्कृति से समझोता कर रहे हैं ,, हम जानते हैं की पाकिस्तान , बांग्लादेश , अफगानिस्तान आदि देशो की स्थिति ठीक नहीं लेकिन उसका कारण विदेश यात्राये न करना नहीं है ,, उसका कारण मोदी जी की तरह देशद्रोही , आतंकवादी , मजहबी कट्टर पंथियों के सामने घुटने टेक देना है ।.
जिस राष्ट्रवादी हिंदु समाज ने मोदी को पी एम बनाया .... उसी राष्ट्रवादी हिंदु समाज को , राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादियो को मोदी जी ने हाशिये पर डाल दिया ,, अनेक नसीहतें दी जाने लगी , विकाश मैं बाधक घोषित कर दिया , गौ ह्त्या विरोध आंदोलन करने वालो को , राष्ट धर्म संस्कृति की बात करने वालो को कट्टरपंथी कहा जाने लगा । चुनाव मैं जीत के सेकुलरता को ही आवश्यक माना जाने लगा । हजारो करोड़ जितना खर्च मोदी की विदेश यात्राओ मैं हुआ और हो रहा है अगर ये यात्राये और खर्च भारत के निर्माण मैं लगा दिया जाता तो क्या विदेशो मैं भारत की स्थति मैं सुधार नहीं होता .. क्या भारत की बदनामी हो जाती ।.
मोदी के प्रत्येक कार्य , विदेश यात्रा आदि को अति आवश्यक बताने वाले,, गुजरात के विकाश का उदाहरण रखने वाले मोदी जी या उनके सपोर्टर बताएँगे की गुजरात के विकाश के लिए उन्होंने भारत के कितने राज्यों या विदेशो का दौरा किया था ।. क्या गुजरात के विकाश ने भारत और विश्व को खुद ही परिचय नहीं दिया । जब बिना भारत के राज्यों या विदेशो का दौरा किये बगैर केंद्र सरकार के लाख विरोध करने और सहयोग न करने पर भी गुजरात का विकाश हो सकता है तो देश का क्यों नहीं ,, क्या देश का विकाश विदेशी करेंगे ,, भारत के नाग्रिक अकर्मण्य है क्या मोदी की नजर मैं ,,,,