वो अक्कड़पन है तुझमे, बेबाक महोब्बत है मुझ में,,
वो दिल दरिया सा है तुझमे, ये बहता पानी है मुझ मे,
वो पसरा सरनाटा था तुझमे, उठती उमंगें थी मुझमे,
जो रात सुहानी थी तुझमे, आँखो मे निकली थी मुझमें,
वो तेज उमंगें है तुझमे, सारा समुन्दर है मुझमें,,
वो दिल दरिया सा है तुझमे, ये बहता पानी है मुझमें,
अब तुझको तेरी ही बात बतलाऊ,mujh पर बीती सौगात सुनाऊ ,
कैसे बतलाऊ क्या समझाऊं,
कैसे तुम बिन मे जी पाऊ,,
मंदिर जाऊ, मस्जिद जाऊ
या फिर गिरजाघर मे कैंडल जलाऊ,,
पर तुम बिन ना मे रह पाऊ,,
किताब हो तो तुझे पढ़ता ही जाऊ,,
अगर तू दरिया हो तो उस मे डूब जाऊ,
संगीत हो तो धुन बन जाऊ,,
गीत हो तो बस उसे गुनगुनाऊं,,
सजदे मे मे सर झुकाऊ,,
हर दुआ मे, मै तुझे मुकम्बल करवाऊ,,
तुझे खोने के नाम से ही मै डर जाऊ,
तन्हा तन्हा कसे जी पाउ,,,
सर्दी जो लगे तुझे तो कम्बल बन जाऊ,,
धुप लगे तो छाँव बन जाऊ,,
अगर लगे लू तो मै मावठ बन जाऊ,,
आये नींद तो मै बिस्तर बन जाऊ,
एक छोटा सा घर बन जाऊ,,
बस यही कहानी थी मुझमें, 6 साल पुरानी थी मुझमे,
जो रात सुहानी थी तुझमे, अमावश्या सी अंधियारी थी मुझमें,
बस मुझ को ये ही कहना था, अब जो करना तुझ को करना था,,
उम्मीद का सहारा था, मै तन्हा जिंदगी नाम तुम्हारा था,
अगर अब भी अक्कड़पन है तुझमे, तो बेबाक महोब्बत है मुझमें,,
वो दिल दरिया सा है तुझमे, ये बहता पानी है मुझमें,,,,
,,,,,,, ये बहता पानी है मुझमें,,,, !!!!!