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उत्साह

12 दिसम्बर 2021

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किनारों मे कहा मोती मिले, गहराईयों मे जाकर बात बनी,, 
हवाओं से कहा आग बुझी, भूधर् मे है जो फैल चुकी,, 
बरसातो मे कहा प्यास बुझी, रेगीस्थान से जो आश जगी,,, 
                 सूर्य की चमक के साथ हुई, ,,,, 
                 वाह : क्या कभी ऐसी रात हुई,,,,!!!! 

तूफानों से कहा, चिड़िया की कभी हार हुई,, 
घोसला टूटा, अंडे फूटे, फिर भी ना निराश हुई,, 
लालिमा युक्त किरणों के साथ, उसकी फिर नयी सुरुवात हुयी,
घोसला बनाने के साथ, मन की पुरी आश हुई, 
स्वपन निंद्रा मे तुम सोये हो, बिन बादल ना बरसात हुई, 
                सूर्य की चमक के साथ हुई, ,,,, 
                 वाह : क्या कभी ऐसी रात हुई,,!!! 

प्रभात हुआ अब भी क्या सोना है,, 
रहा सहा भी क्या खोना है,, 
वाह: खूब  पंछी क्षितिज तक उड़ा है, हौसलों के साथ लड़ा है,
मंजिल कितनी पास हुई ,भाग्य भरोसे नही हिम्मत के साथ हुई है ,,
उठो तुम्हारे गीतों से यू रचनाएँ जाग्रत हुई ,
कब तक रहोगे बन्द कमरों में ,उठो दिन की नई सुरूवात हुई,,
निराशाओं में तुम डूबे हो, बिन किये ना जय जयकार हुई ,,
                सूर्य की चमक के साथ हुई, ,,,, 
                 वाह : क्या कभी ऐसी रात हुई,,|||||||||

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