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जब संसार में आंखे खुलती हैं तो ये नहीं पता होता कि संसार क्या हैं। न ही ये पता होता हैं कि हम क्या हैं। न ये कि अच्छा क्या और बुरा क्या हैं। संक्षेप में एक कोरा कागज़ जिस पर जो चाहे लिख लो। आज की पीढ़