जब संसार में आंखे खुलती हैं तो ये नहीं पता होता कि संसार क्या हैं। न ही ये पता होता हैं कि हम क्या हैं। न ये कि अच्छा क्या और बुरा क्या हैं। संक्षेप में एक कोरा कागज़ जिस पर जो चाहे लिख लो।
आज की पीढ़ी के उसी कोरे कागज़ पर उनके माता पिता समृद्ध बनने का ऐसा अध्याय लिखने पर लगे हुए हैं। जिस ने संसार को सिर्फ विनाश ही दिया हैं। आज बच्चो को नही पता कि महनत और शौर्य किस चिड़िया का नाम है। उनको नही पता कि प्रेम और भावना क्या हैं। उनको सिर्फ इतना पता है कि पैसा ही सब कुछ हैं। जिससे दुनिया में जो चाहे कर लो। लेकिन ये नहीं पता कि पैसा कमाने के लिए किसी का गला नहीं काट सकते। बल्कि खुद का पसीना और मेहनत ही कामयाबी की बुलंदी तक ले जाती हैं।
और इस कोरे कागज को समृद्धि की झूठी कालिख से पोतने के जिम्मेदार खुद उनके माता पिता हैं। क्योंकि जब बच्चो को मां की जरूरत होती है। माए अपनी जरूरत पूरी करने में खोई रहती हैं। फिर जब उनको बच्चो की जरूरत होगी। तब उनके ही बताए माया जाल के अंधेरे रास्ते में वो बच्चे खो चुके होगे। मां को पहले मां की जिम्मेदारी पूरी करनी होगी। नहीं तो आने वाले समय में दुनिया सिर्फ अंधेर नगरी बन चुकी होगी।