मिनी ने अपनी पहली सैलरी में सुरजीत के वो गहने वापिस लाकर दिए जो सुरजीत ने मिनी को पढ़ाने के लिए गिरवी रखे थे। सुरजीत उन गहनों को देख कर रोने लग जाती है वह वो दिन याद करती है। उसने यह गहने अपने पहले कर
मिनी ने पुरे दिन सुरजीत से बिल्कुल भी बात नहीं की ।सुरजीत ने पुरे दिन मिनी को अकेला छोड़ दिया ताकि वह अपने गुस्से को काबू कर सके । सुरजीत रात को मिनी के लिए खाना लेकर आई लेकिन उसने खाना में खाने से इ
जैसे - जैसे दिन बीत रहे थे। वैसे ही शरनजीत के स्वभाव में बदलाव आ रहा था। वह सुरजीत को बार - बार एक ही ताना मारती थी । कि तुम्हें और तुम्हारी बेटी को मेरा पति पाल रहा है। पहले तुम्हारे पति की दवाईयो
सुरजीत के पति को बीमार हुए छ: महीने हो गए थे लेकिन वह अभी तक भी स्वस्थ नहीं हुए। धीरे -धीरे शरणजीत ने सुरजीत के साथ भेद- भाव करना शुरु कर दिया क्योंकि शरणजीत के अनुसार बलवीर ही सारी ज़मीन जायदाद का
यह कहानी एक औरत की है। जिसका नाम सुरजीत है। सुरजीत अधखढ उम्र की है। उसकी वेशभूषा बिल्कुल साधारण है। उसका पति बीमार होने के कारण वह अपने आप में गुमसुम सी और चुपचाप रहती है। उसकी अपनी कोई भी सन्तान ना ह
एक बार की बात है। एक बुधदेव देव नाम का लड़का रहता था। उसके माता पिता ने बहुत प्यार से उसका नाम बुधदेव रखा था। लेकिन गांव वासियों ने उसके स्वभाव को देखकर उसका नाम बुधु रख दिया। वह थोड़ा सा मोटे दिमाग क
"ख़ुशी" 1.....खुशी थी इकरार की,खुमारी थी प्यार की,सोची कब हो तैयारी,मिलने की यार से,चलो इंकार खत्म हुआ,खुशियों का इकरार हुआ,आज प्यार का इजहार हुआ।नादानी 2.....चलो थोड़ी सी नादानी कर बैठ
एपीसोड 22 - जीवन और आएशा का प्यार पिछड़े एपिसोड में हमने देखा था की आएशा और आकाश जीवन के साथ मिलकर खान चाचा
शीर्षक --बिन तेरे न तूने सजा दिया,बस तूने प्यार किया,ऐसा क्या गुनाह था,जो तेरे बिन जिया।बोलो न।बिन तेरे अकेले जीते जीते,जिंदगी थक सा गया हूँ।खुद से कितनी बातें करूँ,बिन तेरे।किस से हाले दिल,बताऊँ
शीर्षक --एक रात एक रात ऐसी भी आती है,जहाँ लड़की अपनी ही घर,से सबसे पराई हो जाती है।दुल्हन बनकर हाथों में,मेहंदी लगा कर,सपनों के राजकुमार,के संग संग फुर से,उड़ जाती है मोटर कार में।एक
शीर्षक--लम्हेंवो लम्हें जिंदगी के तितलियोंसे कम नही लगते हैं।जितना याद करोगे उतना ही,याद आता है। तितलियों के तरह,जितना पकड़ोगे उतना ही उडाता,जाता है खुद के संग।वो लम्हें भी कभी यादें बनकर,कभी ख्व
शीर्षक---मुलाकातकहाँ पता था वो आखरी मुलाक़ात होगी,दिल की बातें यूँ ही दिल में कैद रह जाएगी।तुझे याद करके दिल बड़ा ही तड़पता है,वो आखिरी मुलाक़ात को याद करके,दिल आज भी खो जाता है तेरी वो,आखिरी मुलाक़ात की य
शीर्षक ---"जिंदगी के सबक "जिंदगी के अनुभव से मिले सबक से ही कुछ सीखने की कोशिश करना ही तो जिंदगी कहलाती है।इसमें उलझने की जरुरत नही होती है।सबक से सीख कर तो अपने सपनों को फैलाने की कोशिश करना है।
शीर्षक--दया की मूरत दया की मूरत है,प्यार की सूरत है,वो होती है,बहुत ही खूबसूरत है।वो कोई और नही,मेरी प्यारी माँ ही तो,होती है न।जो दया की मूरत होती है,जिनके दिल में बस अपने,बच्चों के लिए दुआ होती
शीर्षक --"ये जीवन है "ये जीवन क्षणभंगूर है,ये रूप भी क्षणभंगूर है,ये काया भी क्षणभंगूर है,ये माया भी क्षणभंगूर है,फिर सब इसको पाने के,लिए व्याकुल होते फिरते हैं।बस ये जीवन साँसो का,ताना बाना है।जिंदगी
शीर्षक-----"माँ का आँचल"मेरी माँ के आँचल में बीता मेरा बचपन,वो भगवान तो नही है पर मेरे लिए है भगवान।मेरी माँ मेरे लिए इस जहाँ में,मेरे मन के मंदिर में भगवान से कम नही है।माँ सुनती है मेरे दिल की धड़कन,
शीर्षक --खामोशी का दर्द जब किसी की मोहब्बत जुदाहोती है तो लव खामोश खुद ब खुदहो जाते हैंख़ामोशी की चादर में खुद कोलपेट लेते हैं ख़ामोशी के दर्दको खुद सहते हैं उफ़ भी न करते हैंउस जुदा मोहब्बत क
शीर्षक -"वो एक कविता"वो एक कविता ही तो होती है,जो हमेशा साथ चलती है,जो हमेशा पास रहती है,वो एक कविता ही तो होती है।जो किसी की पहचान होती है,जो किसी की सम्मान होती है,वो एक कविता ही तो होती है।जो हमें
मत सुलगाओ, प्रेम की चिंगारी, वरना ये दिल, जल जायेगा ।यदि नहीं जला ये दिल, तेरे प्यार की गर्मी से,मोम बनकर पिघल जायेगा ।म
किसी को किसी का इंतजार था, किसी दिल में, किसी के लिए प्यार था ।इन्तजार की घड़ियां, तब टूटी, जब आने वाले का इन्कार था ।कोई हकीकत हो, या बहाना हो,&nb