श्रव्या का अफेयर नामक हिन्दी उपन्यास श्री पी.एल.गौतम द्वारा रचित एवं डायमंड बुक्स दिल्ली द्वारा प्रकाशित है। लेखक का यह सामाजिक उपन्यास एक प्रेम कहानी को प्रस्तुत करने के साथ-साथ हमारी समकालीन समस्याओं
को भी वर्णित करता है। हमारे सम्मुख विश्वस्तरीय रूप से प्रमुख ज्वलन्त समस्या आतंकवाद और पर्यावरण से संबंधी
है। लेखक ने इन दोनों समसओं को अपनी कहानी का मुख्य केन्द्र-बिन्दु बना दिया है।
लेखक ने इन गम्भीर समस्याओं को श्रव्या के अफेयर के ताने-बाने में बुनकर रुचिकर बना दिया है। श्रव्या के अफेयर
के चक्कर में बेचारा पाठक ऐसा फंसता है कि वह उसकी कहानी जानने के चक्कर में यह भूल ही जाता है कि उसे लेखक
इस कहानी के साथ- साथ इन गम्भीर सम्स्याओं की चटनी चटा रहा है। पाठक श्रव्या के प्रेम की कहानी के साथ साथ गम्भीर
समस्याओं की चटनी को पचा जाता है। वरना तो वह इन समस्याओं के विषय में कभी कुछ सुनना ही नहीं चाहता है। लेखक
ने अनेक प्रशासनिक निर्बलताओं को भी दर्शाया है। कुल मिलाकर उपन्यास की संवाद व भाषा-शैली आकर्षक और प्रभावशाली है।
सैक्स को भी उपन्यास में सामान्य संबंधों के रूप में स्थान दिया गया है और यह वर्णन पाठकों को चुभता नहीं है और कहने का ढंग
अश्लीलता प्रस्तुत नहीं करता है और पात्रों के जीवन में सहज में घुलमिल गया है।
लेखक की यह विशेषता है कि उसने गम्भीर समस्याओं को प्रेम की चासनी में लिपटाकर पाठकों के अन्तः में उसका स्वाद डाल दिया
है। श्रव्या एक प्रकार से मध्यम वर्ग की लड़की है जोकि अपने प्रेम औश्र कैरियर के जाल में फंसकर छटपटाती हुई अन्त में अपनी प्रेमलीला
को सफल बनाकर मुक्त हो जाती है।
कहानी इतनी रुचिकर है कि पाठक पुस्तक प्रारमभ करके उसे बीच में छोड़ना ही नहीं चाहता है और पूरा पढ़कर ही दम लेता है। आशा
है कि उपन्यास आने वाली पीढ़ी के अन्तः को अवश्य झिंझोड़ेगा।-डाॅ. उमेश पुरी ‘ज्ञानेश्वर’