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कहनी ( दीवाली वर्सेस ईद ) * दूसरी किश्त *

24 जनवरी 2022

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कहानी __[दीवाली वरसेस ईद ]  [धारावाहिक - दूसरी क़िस्त ]

इस बीच मीटिंग में बैठे रहीम ने खड़े होकर कहा कि आप हमें एक जंग की ओर धकेलने की कोशिश कर रहे हैं । क्या आपको यह भी मालूम है कि वहां दोनों समूहों की लड़ाई में अगर 20 मुसलमान मरें हैं तो बोडो आदिवासी ( हिन्दू) कितने मरे हैं ? अगर हिन्दू समुदाय भी हमारी तरह ही सोचने लग जाये तो देश के गांव गांव व शहर शहर में दंगे भड़क जायेंगे । मेरा मत है कि वहां कि सारी बातें को किसी और सोर्स से कन्फ़र्म किया जाय । क्या क्या हुआ वहां और उसके पीछे कारण क्या रहे होंगे ? फिर इन सबका हमारे समुदाय के ग्यानी लोग विश्लेषण करें । सिर्फ़ न्यूज़ पेपर के माद्ध्यम से जानकारी लेकर कोई नतीज़े पर पहुंचना और फिर कोई विशेष फ़ैसला लेना बेमानी ही नहीं बेवकूफ़ी भी है । मैं आप लोगों के विचारों से सहमत नहीं हूं । आप लोग बेवजह हम मुसलमानों के दिमाग में गलत पिक्चर डाल कर हमें भड़काने की कोशिश कर रहे हैं । इससे मुसलमानों का नुकसान ही होगा कोई फ़ायदा होने की तनिक भी गुन्जाइश नहीं है । रहीम के विचारों का बहुतों ने समर्थन भी किया पर अधिकान्श लोग पार्सद के विचारों व मंच के विचारों से ख़ुद को अलग नहीं कर पाये । 
 रहीम एक केमिकल इंजिनयर था और वह रायपुर के पास सिलियारी के सिमेंट कारखाने में मैनेजर के पद पर काम कर रहा था । वह बहुत ही सामाजिक सोच वाला इंसान था । इसलिए मुहल्ले में उसके चाहने वाले भी बहुत लोग थे ।

इसके बाद सभा बरख़्वास्त हो गई और लोग छोटे छोटे समूहों में  बंटकर आपस में बातचीत करते हुए अपने अपने घर लौटने लगे । कुछ लोग वहीं सड़क के किनारे समूह बनाकर कोकराझाड़ के मुद्दे पर अपनी अपनी  राय देने लगे । उसी समय मुहल्ले में रहने वाले पंडित भोला शंकर खुदी कहीं से पूजा पाठ करके अपने घर लौट रहे थे । तो कुछ लोगों ने उन्हें वही सड़क पर घेर लिया और कोकराझाड़ मुद्दे को उन्हें तफ़्सील से बताकर उस पर उनकी राय जानने की कोशि श करने लगे । पंडित भोलाशंकर मोदहापारा में पिछले 30 बरसों से रह रहे थे । और उस दौर में वे मौदहापारा में रहने वाले अकेले हिन्दू थे । वे अपने पड़ोसियों के सुख दुख में बराबर शरीक़ होते थे व पड़ोसियों से उनका दोस्ताना रिश्ता था । वे पड़ोसियों की ज़रूरत के समय मदद भी करते थे और कभी ख़ुद भी उनसे मदद लेते थे । उनके घर से लगे रहमान के परिवार के सदस्य उन्हें ख़ुद के परिवार के बुजुर्ग की तरह महत्व देते थे । रहमान परिवार को जब भी कोई मुद्दे पर किसी से सलाह लेनी होती थी तो उनके परिवार के सदस्य सबसे पहले पंडित जी से ही सलाह लेते थे । पंडित जी भी उन्हें हर कठिन समय में , हर विशेष मुद्दे पर सही रास्ता दिखाने का प्रयास करते थे । और अधिकान्श समय पंडित जी की सलाह रहमान परिवार के लिए कारगर ही साबित होती थी । पंडित जी का परिवार और रहमान जी का परिवार ईद और दीवाली मिलजुल कर मनाते थे । इतने लंबे समय तक मौदहापारा में रहने के बावजूर पंडित जी के परिवार के किसी भी सदस्य का मुहल्ले में रहने वाले किसी भी बाशिन्दे से झगड़ा तो क्या तू तू  मैं मैं भी नहीं हुई थी ।
पंडित जी से जब लोगों ने कोकराझाड़ के विषय में उनकी राय जाननी चाही तो उन्होंने जवाब दिया कि मुझे भी उतनी ही जानकारी है जो अखबारों के माद्ध्यम से हम सब तक पहुंच रही है । इस दंगे के पीछे क्या कारण था कोई ठीक से नहीं जानता और मिडिया द्वारा हासिल जानकारी के आधार पर कोई निश्कर्ष निकालना उचित नहीं है । वैसे इस घटना के विरोध में आप सरकारों को कलेक्टर के माद्ध्यम से कोई ग्यापन देने जाना चाहें तो आपके साथ मैं भी ख़ुशी खुशी चलूंगा ।

उधर ब्राह्मण पारा में भी वहां के पार्सद संघर्ष तिवारी ने मुहल्ले वालों की मीटिंग बुलाई थी । साथ में शहर  के कई हिन्दू संगठनों के पदाधिकारी गणों को भी बुलाया गया था । विषय था आसाम के दंगे । इस मीटींग के मुख्य वक्ता थे वीएचपी के कार्यवाहक अद्ध्यक्ष श्री विजय राजपूत । उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि आप में से कई लोग इस बात को जानते होंगे कि आसाम के आदिवासियों की ज़मीन को बंगला देश से अवैध रुप से आये मुसलमान लोग अपने कब्ज़े में ले रहे हैं और विरोध करने पर हथियारों से हमला करने लगते है । यहां तक कि लोगों का कत्ल भी किया जा रहा है । इसी के तहत अभी वहां के कोकराझाड़ के पास स्थित एक गांव में हमला करके पचासों लोगों को मार डाला गया । कई बस्तियां जला दी गई ।। गांव के बाक़ी निवासी गण जान बचाने अपना सब कुछ छोड़कर जंगल में भटक रहे हैं । फिर उस भूभाग का सामरिक द्रिष्टि से भी बेहद महत्व है । अगर वहां से आदिवासी समुदाय पलायन कर जाता है तो सारा इलाका बंगला देश के बाशिन्दों से भर जायेगा और भविष्य में बंगला देश की सरकार उस भूभाग को अपना है कहकर विवाद करेगी । 

हिन्दूस्तान में ही हिन्दू एक शरणार्थी की तरह जीवन बिताने में मजबूर हो रहे हैं । ऐसे में देश के दूसरे हिस्से में रहने वाले हिन्दू उनका सहयोग न करे तो हिन्दुओं पर लानत है । ऐसे हिन्दुओं को हिन्दू कहलाने का भी हक़ नहीं रह जाता । अत: हमें आसाम में हिन्दुओं के उपर जो ज़ुल्म हुआ और हो रहा है उसके लिए कोई सकारात्मक भूमिका अदा करनी होगी । और यहां की सरकारों को भी हिन्दुओं को बचाओ , हमें मुसलमानों से निज़ात दिलाओ का विषय बनाकर ग्यापन देना चाहिए । प्रशासन पर दबाव बनाना चाहिए ।
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दीवाली वरसेस ईद
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रायपुर के मौदहापारा मे मुसलिम संगठनों व ब्राहमण पारा में हिन्दु संगठनों द्वारा बैठकें की जा रही हैं की कोकराझार आसाम में हुई घटना के बाद हमें किस तरह से प्रतिक्रिया देनी चाहिए ।
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ईद वर्सेस दीवाली

24 जनवरी 2022
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[ दीवाली वरसेस ईद ] ( धारावाहिक- प्रथम भाग)संयोग से इस वर्ष ईद और दीवाली दोनों त्योहार साथ साथ आने वाले थे । महीने भर पूर्व ही हमारे रायपुर शहर में हर तरफ़ हर्षो-उल्लास का

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( दीवाली वर्सेस ईद) तीसरा भाग

26 जनवरी 2022
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[ दीवाली वर्सेस ईद ] ' कहानी [धारावाहिक] तीसरा भागसभा समाप्त होने के बाद वहा भी कुछ जवान लड़के सड़क पर खड़े होकर इसी विषय पर चर्चा करने लगे कि आसाम के बोडो आदिवासियों की मदद के लिए और क्या क्या किय

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