धीरेन्द्र अपने कॉलिज के कार्यक्रम में , राजा दुष्यंत बनता है और टीना शकुंतला ,वो टीना जो अंग्रेजी उपन्यास पढ़ती है। बिल्कुल फिल्मी नायिकाओं की तरह रहती है ,गाड़ी चलाना जानती है ,घूमती-फिरती है, सुंदर है ,हर चीज में सबसे अव्वल रहने का प्रयत्न करती है ,कॉलिज के लड़के ,उसे छेड़ने की हिमाक़त नहीं कर सकते ,कईयों को मज़ा भी चखा चुकी है। उसका यही अंदाज धीरेन्द्र को भी पसंद आ जाता है और वो भी मन ही मन उसे पसंद करने लगा है। टीना भी धीरेन्द्र को देखकर ,उसे पसंद करने लगी है किन्तु उन्होंने कभी आपस में बातचीत तक नहीं की। अब उन दोनों को ही ,अपने कॉलिज के नाटक में भाग लेने का मौका मिला है। दोनों ही अपने मन की लालसा को छिपाते हुए ,कॉलिज के नाटक में अभिनय करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
टीना ,कहानी की नायिका शकुंतला को आईने में ढूंढने का प्रयत्न करती है , उसके कटे बाल ,उसकी चाल कुछ भी तो शकुंतला से नहीं मिलता। पुरानी फिल्में देखती है ,और अपनी तैयारी आरम्भ करती है। उधर धीरेन्द्र भी अपना अभ्यास कर रहा था।
अगले दिन दोनों अपने अभ्यास के लिए आते है और पहला दृश्य करते हैं ,आज उस दृश्य को करते हुए दोनों ने एक -दूसरे की आँखों में देखा।नजरें एक -दूजे से टकराईं कुछ देर इसी तरह देखते रहे। सर तो सोच रहे थे ,दोनों अभिनय कर रहे हैं किन्तु दोनों ही अपने अंदर हलचल महसूस कर रहे थे। अधिक देर तक टीना उसकी आँखों में न देख सकी और नजरें नीचीं कर लीं। बहुत सुंदर , बहुत सुंदर टीना आज तो तुमने कमाल कर दिया। इधर दुष्यंत और शकुंतला की कहानी आगे बढ़ रही थी। उधर टीना और धीरेन्द्र भी एक -दूसरे को दिल दे चुके थे। मंच पर नाटक सराहा गया। उन दोनों ने भी खूब प्रशंसा बटोरी।
धीरेन्द्र ,मैं तो तुम्हे तभी से पसंद करने लगी थी जिस दिन तुम्हें ,पहली बार देखा था और तुमने मुझे पहली बार कब देखा ?
टीना की गोद में लेटे हुए ,धीरेन्द्र बोला -कोई तारीख़ या दिन तो स्मरण नहीं किन्तु जब भी देखा ,तुम्हारा हो गया। अब तो अधिकतर दोनों साथ ही रहते ,कभी -कभी दूर घूमने निकल जाते। दोनों को ही कॉलिज में अब दुष्यंत और शकुंतला के नाम से जाना जाने लगा।
एक दिन,धीरेन्द्र दोस्तों के हत्थे पड़ ही गया ,क्या बात है ?यार तू तो अब अपने दोस्तों को ही भूल गया।
हाँ यार.... पढ़ाई है ,मैंने पापा को वायदा भी किया है कि अबकी बार सबसे अच्छे नंबर लाने हैं।
पढ़ लेना हम क्या मना कर रहे हैं ?हम भी तो पढ़ रहे हैं किन्तु सुना है आजकल किसी लड़की के साथ घूम रहा है।
घूम रहा है या उसे घुमा रहा है। रोहित बोला।
ये क्या बेतुकी बातें कर रहे हो ?वो मुझसे प्रेम करती है और मैं उससे।
अरे यार....... अब तो इसके पापा ने इसे मोटरसाइकिल भी लेकर दी है। जा बेटे ,छोकरी पटा और उसे इस दुपहिया पर घुमा चेतन ने व्यंग्य किया।
ये तू क्या बोला ?तू मेरा दोस्त है इसीलिए...... धीरेन्द्र क्रोध में बोला।
हाँ ,इसीलिए हम भी तो कह रहे हैं ,तू अपने दोस्तों को कैसे भूल सकता है ? माना कि, टीना तेरी दोस्त है ,हम भी तो तेरे दोस्त हैं ,तूने तो हमें जैसे भुला ही दिया। तू उन दिनों को भूल गया ,जब अपने बुरे दिनों में हमारे पास आता था। उस समय हम ही लोग तेरे काम आये थे ,तेरा सहारा बने थे। चल आजा !आज भी मिलकर पार्टी करते हैं ,बहुत दिन हो गये।
नहीं यार !अब नहीं ,न जाने कैसे -कैसे तो छोड़ी है ?मैंने पापा से वायदा किया है ,अब से कभी इसे हाथ नहीं लगाऊंगा।
हम हाथ लगाने को कहाँ कह रहे हैं ?बस मुँह लगाना है, कहकर चेतन ढीट की तरह हँस दिया।या तेरी टीना को अच्छा नहीं लगेगा।
वो क्यों कुछ कहेगी ?
चल तो आजा !उसी के नाम एक जाम हो जाये।यदि वो तुझे प्यार करती होगी तो तुझे गुणों -अवगुणों सबके साथ स्वीकारेगी वरना तुझे अपने हाथों की कठपुतली बना लेगी। तुझसे अपनी मनमर्ज़ी करवाएगी , तू क्या उससे डरता है ?
मैं क्यों डरने लगा ,उससे ?
तो फिर आजा ! दोस्ती के नाम एक -एक पैग हो जाये और तेरी उस ''गर्ल फ्रेंड टीना '' के नाम भी और उसे जबरदस्ती खींचकर अंदर ले गए। वो कमरा तो विशाल का था किन्तु अभी उस कमरे में विशाल नहीं था इसीलिए इन लोगों ने उसके कमरे को ही अपने पीने का अड्डा बना लिया। विशाल रोहित का दोस्त था ,वो दो दिनों के लिए ,अपने घर गया था और चाबी रोहित को देकर गया था। तीनों ने वहाँ बैठकर पी ,धीरेन्द्र के मना करने पर भी पैग बनते रहे ,जब तक कि उसे अच्छे से नशा नहीं हो गया।
वे लोग उसे चढ़ाते भी रहे ,यार.... ये कैसी मोहब्बत है ? जिससे तू अभी से ड़रने लगा ,तूने प्यार किया है कोई गुलामी नही की ,वो भी तो अपनी सहेलियों के संग ,अपने मन से जीती होगी। वो क्या ?तेरे लिए अपने दोस्तों से मिलना छोड़ देगी। पर तू तो पूरा मजनू हो रहा है। तेरी भी अपनी ज़िंदगी है ,तू पहले की तरह बिंदास जी......
यार....... तुम लोग सही कह रहे हो ,मैं उसके लिए अपने को क्यों बदलूँ ?यदि वो मुझसे प्यार करती है तो ऐसे ही करेगी। मैं कोई उसका ग़ुलाम नहीं ,अब पहले की तरह ही पार्टियां होंगी। ये.... तुम... हारे..... दोस्त..... का वा..... दा..... है ,लड़खड़ाता सा वो उठा और बोला -अब चलता हूँ ,कल..... मिलेंगे।'' सी यू..... टुमॉरो ''कहकर वो बाहर निकल गया।
उसके जाते ही ,दोस्तों ने ताली बजाई ,आख़िर बकरा झांसे में आ ही गया। अब रोजाना पार्टी होगी और वो लड़की.....
अगले दिन धीरेन्द्र देर से उठा, सिर में अभी भी भारीपन था ,तब बीते दिन का स्मरण होते ही ,मन ही मन बुदबुदाया -सालों ,ने कुछ ज्यादा ही पिला दी। उसने घड़ी में समय देखा नौ बज रहे थे ,वो तैयार होने के लिए कुर्सी से उठा ही था कि पापा से सामना हो गया ,वो उसे देखते ही बोले - तूने अपना वादा तोडा ,तूने अब कभी भी शराब को हाथ न लगाने का वादा किया था।
हाँ ,पापा जी ! किन्तु कल उन दोनों ने, ज़बरदस्ती पिला दी। मैंने मना भी किया ,किन्तु नई बाइक की पार्टी मांगने लगे ,हालाँकि खर्चा उन्होंने ही किया ,अबसे ध्यान रखूँगा कहकर वो कॉलिज के लिए तैयार होने के लिए चल दिया।
कॉलिज में टीना उसकी प्रतीक्षा में थी ,बोली -आज इतनी देर कैसे हो गयी ?
वो क्या है ?आज आँख ही नहीं खुली ,देर से उठा।
तुम्हारा एक लैक्चर तो निकल गया ,दूसरे में अभी समय है मेरी भी क्लास नहीं है ,चलो !कैंटीन में कुछ खा लेते हैं। आज तुम्हारी आँखे कैसी अजीब सी लग रही हैं ?टीना ने कहा।
अजीब सी कैसे ?धीरेन्द्र ने पकौड़े खाते हुए पूछा।
यही ,नशीली सी लग रही हैं ,इनमें नींद की ख़ुमारी भरी है किन्तु अच्छी लग रहीं हैं ,टीना शरमाते हुए से बोली।
मैडम ! हमारी तो नजरों में ही इतना नशा है ,तुम झूमने लगोगी ,धीरेन्द्र खुश होते हुए बोला।
बस -बस ज्यादा भाव खाने की आवश्यकता नहीं है ,ऐसी निग़ाहें एक शराबी की भी हो सकती हैं ,मैंने शराबियों को भी इस तरह से देखा है ,कहीं तुम शराब तो नहीं पीते।
न... नहीं ,मैं भला शराब क्यों पीने लगा ? पी भी तो तुम्हें कोई आपत्ति थोड़े ही है ,तुम इतनी आधुनिक लड़की हो ,तुम्हें बुरा थोड़े ही लगेगा।
नहीं ,मुझे क्यों बुरा लगने लगा ? मैं तुम्हें आधुनिक दिखती हूँ किंतु तुमने देखा होगा ,मैं कभी पार्टियों में नहीं जाती ,इस तरह मुझे रहना अच्छा लगता है किन्तु किसी भी ग़लत कार्य में ,मैं तुम्हारे साथ खड़ी नहीं दिखूंगी क्योंकि शराब से मुझे सख़्त नफ़रत है।
क्यों भला ?
इसके पीछे एक लम्बी कहानी है ,बस तुम ये समझ लो फिर हम साथ नहीं होंगे।
क्या, तुम मुझसे प्रेम नहीं करतीं ? जिससे हम प्रेम करते हैं ,उसके गुण -अवगुण सभी अच्छे लगते हैं ,उसने अपने दोस्त का वाक्य दोहरा दिया।
करते होंगे ,किन्तु मैंने तुममें कोई अवगुण नहीं देखा ,कोई हो तो ,मुझे बता देना।
टीना की बात सुनकर ,धीरेन्द्र हिल गया ,नहीं -नहीं ऐसी कोई बात नहीं। चलो !अब तो क्लास का समय भी हो गया। वो उस समय टीना की बातें सुनकर डर गया था इसीलिए अपनी बातों को छिपा गया।
शाम को वो घर से बाहर ही नहीं निकला ,अपनी पढ़ाई में व्यस्त रहा ,पहले भी कितनी पीता था ?बहुत दिनों पश्चात कल पी थी ,आज भी इच्छा तो हो रही है ,वो भी तब जब उसे लगता है कि उस पर बंदिश लगी है। इससे उसकी इच्छा बढ़ती जा रही है। कई बार पानी पिया ,चाय पी ,किसी तरह अपने को रोके रखा। उसे लगता गली में कोई उसे पुकार रहा है। ये कैसा प्यार है ?जिसमें अपनी ही इच्छाओं का दम घोटना पड़ रहा है ?क्या यार..... अपने तरीक़े से भी जीवन नहीं जी सकते।
अगले दिन ,दोनों दोस्त उसका रास्ता रोककर,फिर खड़े हो गए ,और बोले -हम न कहते थे ,तू उससे डरता है ,इसीलिए कल नहीं आया। हमने मान लिया ,तू उससे डरता है किन्तु उसे कौन बताएगा ? तेरी बीवी तो है ,नहीं ,जो तुझे घर में घुसने नहीं देगी ,अभी तो बिंदास होकर जी सकता है ,घुट -घुटकर नहीं। आजा !हमें पता है ,तूने कैसे मुश्किलों से रात्रिि बिताई होगी ?
क्या धीरेंद्र अपने दोस्तों के साथ जायेगा या नहीं, क्या टीना को उसके शराबी होने की बात मालूम हो जायेगी ? आगे उनके रिश्ते का अंजाम क्या होगा? जानने के लिए पढ़ते रहिये - ऐसी भी ज़िंदगी