अब प्रभा ,नीलिमा की ज़िंदगी में कुछ ज्यादा ही गहराई से दिलचस्पी लेने लगी। जब उसने नीलिमा से प्रश्न किये एक बार तो नीलिमा भी ''बगलें झाँकने लगी। ''अथर्व का बहाना लेकर ,उसने फोन काट दिया। तब प्रभा इंस्पेक्टर विकास को फोन करती है और जानना चाहती है - नीलिमा -धीरेन्द्र वाला केस कुछ आगे बढ़ा या नहीं।
तब इंस्पेक्टर विकास उसे बताता है ,उसने आस -पास के सी सी टीवी ,फुटेज़ की भी जाँच की। वो अकेला ही था, जो उस स्टेशन पर आता है ,पहले तो वो वहां पड़ी बेंच पर बैठता है ,लोगों को आते -जाते देख रहा है। उसके चेहरे से नही लग रहा ,जैसे वो किसी की प्रतीक्षा में हो , एक ट्रेन आती है ,लोग आ जा रहे हैं। वो उन्हें बैठा यूँ ही देख रहा था। जैसे उसका मन कहीं और है ,वो देख कहीं और रहा है। चाय भी पीता है , जब दूसरी गाड़ी तेजी से आती है ,लोग उठकर उसकी तरफ जाने लगे , तभी वो भी उठ खड़ा हुआ ,जैसे कोई उसे बुला रहा है। उसको किसी का फोन भी आता है और वो फोन पर बातें करता हुआ वो आगे बढ़ता है , तभी कोई लड़की, उसके पीछे से आती है। उसने अपना चेहरा ढ़का हुआ था । वो ही तेजी से उसके पीछे जा रही है ,तभी ये हादसा होता है। उस लड़की का ही तो पता नहीं चल पा रहा ,वो कौन थी ? इतनी भीड़ का उसने कैसे लाभ उठाया ? ये पता नहीं चल पा रहा।
तब आप कैसे कह सकते हैं ? जो लड़की उसके पीछे गयी थी ,उसी ने उसे धक्का मारा ,हो सकता है ,धोखे से ,अनजाने में लग गया हो प्रभा ने पूछा।
वो इसीलिए , वहां एक भिखारी लेटा हुआ था ,उसने ये सब बताया और बोला -लड़की तेजी से ,भीड़ में ही ग़ायब हो गयी थी।
क्या वो शोर नहीं मचा सकता था ?दौड़कर उसे पकड़ नहीं सकता था ,प्रभा ने सुझाव दिया।
वो अपाहिज कैसे दौड़ता ? शोर तो मचाया था किन्तु शोर काफी था ,कोई सुन न सका।
वो लड़की ,कहीं टीना तो नहीं।
टीना कौन ?
अरे इंस्पेक्टर साहब ! आप टीना को ही नहीं जानते ,हमसे पूछिए ,हम लाये हैं ,''दूर की कौड़ी ढूंढकर '' टीना धीरेन्द्र की गर्ल फ्रेंड थी। जिसे धीरेन्द्र ने धोखा दिया। धीरेन्द्र का व्यवहार बड़ा उलझनभरा था ,वो अपनी बेटियों के संग भी, अच्छा व्यवहार नहीं करता था। उन्हें भी डांटता -फटकारता रहता था। एक दिन तो नीलिमा का और उसका इसी बात पर झगड़ा भी हुआ था।
मोहतरमा !ये सब जानकारी आपने कहाँ से प्राप्त की ?
मुझे नीलिमा मैम ने ही बताया।
क्या तुम्हें पूर्ण विश्वास है ?जो भी वो कह या बता रही हैं ,सही है।
हाँ ,वो गलत क्यों बोलेंगी ?
कई बार अपने को सही साबित करने के लिए ,इंसान झूठ का भी सहारा लेता है। बिना सबूत कानून किसी पर विश्वास नहीं करता।
प्रभा को अब अपनी जानकारी पर वहम होने लगा ,वो तो विकास पर अपना प्रभाव डालना चाह रही थी किन्तु उसकी बातों ने उसे फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया , किन्तु स्वयं को विकास से प्रभावित हुए बिना नहीं रोक सकी। मुँह बनाते हुए बोली -इंस्पेक्टर साहब ,अबकी बार सबूत के साथ ही ,हम अपनी बात रखेंगे किन्तु टीना उसकी दोस्त थी ,ये बात सही है।
ये तो मैं भी जानता हूँ और मैं उससे मिल भी चुका हूँ ,अबकि बार चौंकने की बारी प्रभा की थी। क्या आप जानते हैं ?और मिल भी चुके हैं ,पहले क्यों नहीं बताया ?
क्या बताता ? तुम खुश ही इतना हो रहीं थीं ,मैं तुम्हारी ख़ुशी और मेहनत दोनों को ही जाया नहीं करना चाहता था।
अच्छा ये सब छोड़िये ,पहले ये बताइये ! आप टीना से मिले ,कैसी लड़की थी ?वो !
विकास मुस्कुराते हुए बोला - बेहद ख़ूबसूरत !
प्रभा चिढ़ते हुए बोली -मैं उसकी सुंदरता में क़सीदे पढ़ने को नहीं कह रही हूँ ,मेरा मतलब ये था ,वो व्यवहार में कैसी थी और उसने.....
इससे पहले कि वो अपना वाक्य पूरा कर पाती ,विकास बोला -बहुत ही मिलनसार... कहकर वो तेजी से हंसा।
प्रभा समझ गयी ,अभी वो उसे खींचने के मूड़ में है ,उससे मस्ती कर रहा है। मुझे लगता है ,आज आप जनता से मज़ाक के मूड़ में हैं ,तब ठीक है ,ये जनता भी ,आपसे बात नहीं करेगी कहकर उसने फोन काट दिया। प्रभा की इस नाराज़गी पर विकास हंसा। फोन काट देने के पश्चात मन ही मन प्रभा भी मुस्कुरा रही थी।
प्रभा सोच रही थी ,इंस्पेक्टर साहब नीलिमा से कह रहे थे ,कि वो क़ातिल के क़रीब हैं ,यानि उनके पास कुछ तो सबूत होंगे ,जो क़ातिल की और इशारा करते हैं। बेचारी नीलिमा मैम !उन्होंने कितने कष्ट झेले ?पति की मौत ,उनका बिछड़ जाना ,बच्चों को पालना ,और बेटे की बीमारी !उन्हें जब पता चलेगा ,कि किसी ने उनके पति को जानबूझकर धक्का मारा ,उनके जी पर क्या बीतेगी ? जैसा भी था ,कम से कम उनका पति जिन्दा तो था। इस तरह विधवा के वेश में घूमना तो नहीं पड़ता। बेचारे बच्चों के सर से पिता का साया समय से पहले ही उठ गया।
कहीं उनका क़ातिल उनका अपना भाई तो नहीं ,जो सम्पत्ति हड़पना चाहता था ,उन्हें उनका हिस्सा देना नहीं चाहता था। इस बात की ओर मुझे इंस्पेक्टर साहब को ध्यान दिलवाना होगा ,तभी प्रभा को स्मरण हुआ किन्तु इंस्पेक्टर साहब तो किसी लड़की का जिक्र कर रहे थे ,फिर कहेंगे -बिना सबूत कानून किसी बात पर विश्वास नहीं करता। नहीं ,मुझे मेरी हंसी नहीं उड़वानी सोचकर प्रभा अपने उपन्यास के कुछ विशिष्ट बातों पर मनन करने लगी।
उधर नीलिमा सोच रही थी -उस दिन टीना मुझे मिली ,तब उसने बताया कि वो उसकी दोस्त रह चुकी है।मुझे बुरा तो लगा था, किन्तु सोचा उससे अब तो कोई संबंध नहीं होगा किन्तु मुझे लगा ,हम जहाँ भी जाते हैं ,ये ही क्यों मिलती है ? कहीं हमारा पीछा तो नहीं कर रही ? तब नीलिमा ने टीना से पूछा -क्या आपकी शादी हो गयी ?
मेरे इस प्रश्न पर वो अचानक भड़क गयी और बोली -आप कौन होती हैं ?मुझसे ये सब पूछनेवाली आप अपने काम से काम रखिये।
उसके इस व्यवहार पर नीलिमा को बहुत क्रोध भी आया था।
यही बात जब नीलिमा ने धीरेन्द्र को बताई ,तब भी वो चुप ही रहा , तुम क्यों परेशान होती हो ? कोई भी आये -जाये हमें क्या ?