अपराध पहले भी होते थे, परन्तु...आज के समय में इसका ग्राफ बहुत बढ गया है। जैसे' अपराध करना एक फैशन सा बन गया हो। आज शहर का विस्तारीकरण हो रहा है। यहां तक कि" कस्बा अब शहर बनते जा रहे है और गांव धीरे-धीरे कस्बे का रुप ले रहा है। कहने का मतलब है कि" मानव के विकास का रफ्तार बहुत अधिक हो गया है। अब ऊँची-ऊँची बिल्डिंगों के बनने से कंक्रीटों का जाल सा बनने लगा है और इस कंक्रीटों के जाल ने मानव को स्वार्थी और महत्वाकांक्छी बना दिया है। परन्तु....सफलता और धन' दो ऐसी वस्तु है, जिसे आसानी से नहीं प्राप्त किया जा सकता। इसके लिए कङी मेहनत के साथ धैर्य की जरुरत होती है। धन और सफलता' दो भिन्न वस्तु है, किन्तु" दोनों अभिन्न है और बिना संघर्ष और त्याग के प्राप्त नहीं हो सकती।
किन्तु" आज जो महत्वकांक्छाएँ निरंतर ही बढती जा रही है, उसमें सभी को सफलता चाहिए। कोई भी नहीं चाहता आज के समय में कि" वह पीछे रह जाए। परन्तु....संघर्षशील बहुत कम ही होते है। ऐसे में सफलता प्राप्त करने के लिए मध्य का मार्ग, जिसे शाँर्टकट कहते है, बहुतो को वही आसान लगता है और वो मार्ग है अपराध"। हां जी' मैं अपराध की बात ही कर रहा हूं, जिसे आज के शहरी करण की रफ्तार ने अग्रेसिव बनाया है, अथवा उसे रफ्तार दिया है। यह महत्वकांक्छा का ही प्रभाव है कि" आज के युवा का इस ओर अधिक झुकाब हो रहा है। साथ ही ध्यान देने बाली बात है कि" समाज के कुछ विशेष तत्व भी अपराध" को प्रोत्साहित करते है।
सबका अपना-अपना हित है और अपनी महत्वकांक्छा है, किन्तु" इसके प्रभाव से पूरा समाज/ पूरा क्छेत्र अथवा पूरा ही देश प्रभावित हो रहा है। क्योंकि" अपराध का प्रभाव जब अधीक बढता है, तो अपराधी धीरे-धीरे बेखौफ हो जाता है। उसे किसी प्रकार का भय नही रहता और राजनीतिक अथवा सामाजिक संरक्छण के बल पर वे और भी अधिक बलशाली बन जाते है। ऐसे में जिनकी मानसिकता अपराधिक गतिविधि से परिपूर्ण होती है, रेरर अपराध को भी अंजाम देने से तनिक भी नहीं हिचकिचाते। वे ऐसे भी अपराध को अंजाम दे देते है, जो समाज को/ राष्ट्र को भयाक्रांत कर देता है। जो हमारे सामाजिक/ प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा देता है।
उसमें भी' मीडिया के बढते बर्चश्व ने तो अपराधी के मनोभाव को और अधिक उकसाया है। उन्हें अपराध करने के नए- नए तौर- तरीकों को सिखाया है। कहा जा सकता है कि" एक तरह से अपराधियों के मन में इस भावना को ढृढ बना दिया है कि" अपराध करने बाले ज्यादातर हिरो" होतें है। बस' इसने तो अपराध की अग्नि में घी डालने का काम किया है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध का बढता हुआ धीरे-धीरे यह ग्राफ अब दानव का रुप लेने को तत्पर है। परन्तु....न तो राजनीति के स्तर पर और न ही सामाजिक स्तर पर इसपर लगाम लगाने के लिए उचित प्रयास किए जा रहे है।
तभी तो' अचानक ही खबरों के हेडलाइंस में यह खबर चमकने लगता है कि" अचानक ही किसी को सरे- बाजार चाकूओं से गोद डाला गया। तो कहीं लङकी को अपराधी रुपी दानव घेर लेते है/ उठा लेते और सामुहिक रुप से उसके साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दे कर उसकी हत्या कर दी गई है। आज- कल तो अपराध ने एक और नया रुप ले लिया है, जिसका नाम लव जिहाद" है। आज जिस तरह से लङकियों को काट-काट कर फेंका जा रहा है, बोरियों/ बैगों में पैक करके फेक दिया जा रहा है। आज- कल सरेराह बजार में लङकियों पर एसिड अटैक और चाकूओं से हमला किया जाना। अब तो' रेरर अपराध की कोई सीमा ही नहीं रही है।
ऐसे में स्वाभाविक ही है कि" अब इस विषय पर गहन चिंतन की जरुरत है। अन्यथा' तो ऐसा भी समय आ जाएगा, जब चाह कर भी मानव संभल नहीं पाएगा। जरुरत है कि" इस विषय पर चर्चा कर के कोई ठोस रास्ता निकाला जाए। साथ ही जरुरत यह भी है कि" सामाजिक/राजनीतिक वे तत्व' जो अपने स्वार्थ के निमित अपराध" को बढाबा देते है। अपने स्वार्थ को एक पल के लिए भूल कर तत्काल ही इस पर अंकुश लगाने के लिए सोचना होगा।
क्रमश:-
मदन मोहन मैत्रेय की अन्य किताबें
नाम - मदन मोहन "मैत्रेय",
पिता - श्री अमरनाथ ठाकुर,
निवास स्थान - तनपुर, बिहार,
शिक्षा - बी. ए.,
आप का जन्म बिहार प्रांत के दरभंगा अनु मंडल स्थित रतनपुर गांव में साधारण परिवार में हुआ है। इनकी शिक्षा–दीक्षा भी कठिन आर्थिक परिस्थितियों में संभव हो सका है। लेकिन इनमें लिखने की ललक बचपन से थी, जिसे ये समय के साथ ही परिमार्जित करते चले गए और ईश्वर की कृपा से सन ई. २०२२ में इनकी चार रचना प्रकाशित हो गई, जिसमें से तीन उपन्यास एवं एक काव्य संग्रह है। इनकी सभी रचनाएँ अमेजन एवं फ़्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।
इनकी प्रमुख रचना-:
फेसबुक ट्रैजडी (उपन्यास) - यह कहानी आँन लाइन चेटिंग के दुष्परिणाम पर आधारित है। साथ ही इसमें अपराध, छल, प्रेम, घृणा, कर्तव्य और अपराध का विस्तृत वर्णन किया गया है।
ओडिनरी किलर (उपन्यास)- यह उपन्यास पुरुष वेश्या (जिगोलो) पर आधारित है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि प्रतिशोध की भावना कितनी भयावह होती है। साथ ही अपराधी जब अपराध करने पर उतारू हो जाता, सिस्टम के लिए किस प्रकार से सिरदर्द बन जाता है, उसको बताया गया है।
तरूणा (उपन्यास) – यह कहानी लिंग परिवर्तन(जेंडर चेंज) पर आधारित है। इसमें प्रेम है, घृणा है, अपराध है, तो प्रतिशोध भी है। इस कहानी में समाज में छिपे हुए कुछेक अपराधी प्रवृति के सफेदपोश का चरित्र चित्रण किया गया है।
अरुणोदय (काव्य संग्रह) - यह कविता की पुस्तक है और इसमें जितनी भी कविताएँ है, प्रेरणा देने वाली है। हतोत्साहित हृदय को फिर से नव ऊर्जा से संचारित कर दे, ऐसी कविताएँ हैं।
साथ ही आप की कविताएँ पत्र-पत्रिकाओं एवं एंथालाँजी में प्रकाशित होती रहती है। आप जो भी रचना करते है, वर्तमान परिस्थिति, सामाजिक विषय, रोचकता और युवा के जरूरत और महत्व को केंद्र में रखते है। इसलिये इनके कलम से समाज के अलग-अलग विषयों पर रचनाएँ की जाती है और आप अभी “रति संवाद” नाम के उपन्यास पर कार्यरत है।
इनकी रचित रचित-रचनाएँ और भी है, एकल काव्य संग्रह “जीवन एक काव्य” धारा एवं “वैभव विलास-काव्य कुंज” जो पेंसिल पब्लिकेशन पर प्रकाशित हुई है। दूसरी कविताएँ “निम्न एन्थोलाँजी” डेस्टिनी आँफ द सोलेस्टिक एवं “अल्फाजों की उड़ान” के साथ ही “बाल रंजन” में प्रकाशित हुई है। साथ ही विभिन्न समाचार पत्रों में रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है।
हम आशा और विश्वास करते है कि आप पाठकों का प्यार एवं स्नेह इनसे जरूर जुड़ेगा।
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