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akash sharma की पुस्तकें

akash sharma के लेख

उसने अपनी कहदी,हमने अपनी सुनाई नही

16 मार्च 2016
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उसने अपनी कह दी हमने अपनी सुनाई ही नहीं ।बात इतनी है कि हमें बात करनी आई ही नहीं ।।बड़ी मुद्दत से इस राज़ को दिल में छुपा रक्खा था।वरना आज तक हमने कोई बात छुपायी ही नहीं।।जाने ऐसा क्या कह दिया था महफ़िल में हमने ।वो मिला तो मगर उस ने आँख मिलायी ही नहीं।।जाने क्यों लोग डर जाते हैं मेरी बेबाकी से ।शाय

माँ केवल माँ है

16 मार्च 2016
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ये कहानी मैंने आज के उन बुजुर्ग माँओं को समर्पित की है जो सब कुछ लूटा देने के बाद खुद लूट जाती हैं।ये सब वास्ताविकता से प्रेरित हर माँ के आँचल कोसच्चे श्रदा सुमन अर्पित है जो इस विकट विपदा में भी अपना जीवन जी रही है।कृपया एहसासों के चोले को ओढ़कर पढे तभी मन के उन्माद की कसक आपके आँसू को मोती बना सकती

कौन

16 मार्च 2016
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है बहुत प्यार तुझसे हमे  ज़िंदगी लेकिन  नखरे तुम्हारे उठाएगा कौन ?है चाहत हमे भी बहुत  रोशनी कीपर इसके लिए  घर जलाएगा कौन ? है मन में तो आता  रूठे तुझसे हमतेरी  तरह मुझे पर मनाएगा कौन ?क्या पता छोड़ कर चल तू दे कब हमेऐसी चाहत  गले फिर लगाएगा कौन ?प्यार के नाम पर डाले बंधन हज़ारऐसा पट्टा गले में  डलवाये

पत्थर तराशता एक शख्स

16 मार्च 2016
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पत्थर तराशता एक शख्श,खुदा से मिलने की जिद् कर बैठा ।हाथ लकीरो से भरे थे पहले,मगर अब छालो से भर बैठा ।।मोम की तरह अगर ,पत्थर भी पिघल जाते..हर किसी को जहां में,खुदा फिर मिल जाते...।ढूंनने जो चला,जिंदगी को मै,जिंदगी से ही हाथ धो बैठे,हाथ लकीरो से भरे थे पहले,अब मगर छालो से भर बैठा ।जब खुशियाँ थी,तो पास

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