पत्थर तराशता एक शख्स
पत्थर तराशता एक शख्श,खुदा से मिलने की जिद् कर बैठा ।हाथ लकीरो से भरे थे पहले,मगर अब छालो से भर बैठा ।।मोम की तरह अगर ,पत्थर भी पिघल जाते..हर किसी को जहां में,खुदा फिर मिल जाते...।ढूंनने जो चला,जिंदगी को मै,जिंदगी से ही हाथ धो बैठे,हाथ लकीरो से भरे थे पहले,अब मगर छालो से भर बैठा ।जब खुशियाँ थी,तो पास