है बहुत प्यार तुझसे हमे ज़िंदगी
लेकिन नखरे तुम्हारे उठाएगा कौन ?
है चाहत हमे भी बहुत रोशनी की
पर इसके लिए घर जलाएगा कौन ?
है मन में तो आता रूठे तुझसे हम
तेरी तरह मुझे पर मनाएगा कौन ?
क्या पता छोड़ कर चल तू दे कब हमे
ऐसी चाहत गले फिर लगाएगा कौन ?
प्यार के नाम पर डाले बंधन हज़ार
ऐसा पट्टा गले में डलवायेगा कौन ?
जिसे अपने सिवा कुछ ना आये नज़र
उसे अपने ज़ख़्म फिर दिखायेगा कौन ?
लूली लंगड़ी सी हम को मिली ज़िंदगी
उम्र भर इसको काँधे उठाएगा कौन ?
तेरी चाहत पाने की थी चाहत बहुत
तेरी मुंह मांगी कीमत चुकाएगा कौन ?