उसने अपनी कह दी हमने अपनी सुनाई ही नहीं ।
बात इतनी है कि हमें बात करनी आई ही नहीं ।।
बड़ी मुद्दत से इस राज़ को दिल में छुपा रक्खा था।
वरना आज तक हमने कोई बात छुपायी ही नहीं।।
जाने ऐसा क्या कह दिया था महफ़िल में हमने ।
वो मिला तो मगर उस ने आँख मिलायी ही नहीं।।
जाने क्यों लोग डर जाते हैं मेरी बेबाकी से ।
शायद बात करने की फितरत हमें आई ही नहीं ।।
अभी से इतना क्यों चौंकते हो दोस्त ।
अभी तो मैंने पूरी बात सुनाई ही नहीं ।।
मैं उस के हर झूठ को सच समझ के पी गया ।
मगर उस ने जो बात बतानी थी बतायी ही नहीं ।।
हम तो हर बुत को अपना समझ लेते हैं ।
पर शायद मेरी बात उसकी समझ आई ही नहीं।।
कह देते हैं बेझिझक जो भी दिल में आता है ।
बात यह है कि हमें बात करनी आई ही नहीं ।
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