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समान सिविल संहिता~

6 नवम्बर 2022

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आज़ादी की क़वायद के दौर में और उसके बाद की सर्वप्रमुख उपलब्धियों में से एक भारतीय संविधान का निर्माण करना और उसका लागू होना रहा है । संविधान का 'चौथा भाग' नीति निर्देशक सिद्धान्तों के रूप में  राज्य को यह निर्देश देता है कि वो इस देश के नागरिकों के हित में कुछ ऐसे प्रावधान करे जिससे राज्य का कल्याणकारी स्वरूप चरितार्थ हो । 

इसी क्रम में अनुच्छेद 44 समान सिविल संहिता की बात करता है , यानी कि राज्य  एक ऐसा कानून निर्मित करे जो इस देश के सभी समुदायों , धर्मों और वर्गों के लिए एक समान रूप से लागू हो । वर्तमान में केवल गोआ एकमात्र राज्य है जहां कॉमन सिविल कोड लागू है ।

भारत की विशेषता विविधता में एकता रही है । इसीलिए संविधान निर्माताओं ने समान सिविल संहिता को तात्कालिक  रूप से लागू न करके "राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्तों" के अंतर्गत रखा। जिससे राज्य के रूप में हमारा देश जब इसके लिए तैयार हो इसे लागू किया जाये ।

वर्तमान में भारतीय दण्ड संहिता में विभिन्न प्रकार के पारंपरिक और धार्मिक कानूनों के तहत विवाह, गोद लेने का अधिकार और कई अन्य विषयों पर अलग अलग कानून प्रचलन में हैं, जिसके आधार पर नागरिकों को उनके धर्म, और पारम्परिकता के आधार पर व्यवहृत किया जाता रहा है जो इक्कीसवीं सदी के इस आधुनिकतम दौर में भी रूढ़िवादिता का परिचायक ही जान पड़ता है ।

समान सिविल संहिता वर्तमान समय की महती आवश्यकता है, यह जरूरी है तब जब कि देश स्वयं को कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक सूत्र में बांधने के लिये तत्पर है, तब जब कि हम राज्य और क्षेत्र की हदों से अलग होकर एक देश और एक समान रूप से सभी लोगो के लिए एक प्रकार के कानून निर्माण के लिए आकांक्षी है । यकीनन भारतीय विविधता को एकता के सूत्र में पिरोने का यह सबसे क्रांतिकारी समय है जब विश्व ,देश और समाज के स्तर पर भारत नए प्रतिमान स्थापित करने की ओर अग्रसर है ~
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने 😊🙏

23 अगस्त 2023

Pragya pandey

Pragya pandey

बेहतरीन प्रस्तुति 👌🏻👌🏻👌🏻

6 नवम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

6 नवम्बर 2022

बहुत शुक्रिया प्रज्ञा जी💐💐

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रचनाएँ
स्वयं से स्वयं तक~
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स्वयं से की गयी बातचीत और ईमानदार साक्षत्कारों के कुछ चुनिंदा अंश इस पुस्तक में संग्रहित हैं ।
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एक जंगल~

7 अक्टूबर 2022
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एक जंगल उसके जेहन में अक्सर घूमता है । बियावान , भयानक, दुर्दम्य जंगल । सिंह , भालू, अजगर , हाथियों से भरा जंगल । बड़े बड़े वृक्ष ,इतने बड़े और घने कि सूरज की रोशनी तक जमीन से ना मिल पाये ।घास इतनी विशाल

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सुकून~

9 अक्टूबर 2022
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वहां कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ, दम ले ले घड़ी भर ये छैया पायेगा कहा ।इस नग़मे में नायक को जीवन के सफर में दौड़ते हुए सुकून की छांव की इत्तला दी जा रही है ।जी हां सुकून !! जो पसर जाए तो मानो हर

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अनदेखी अनजाना~

10 अक्टूबर 2022
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उसे इंतेज़ार रहता है उस इक हसीन लम्हे का । वो लम्हा जो शायद जिंदगी के मायनों से मिला दे , जिंदगी का मतलब बता दें या फिर जिंदगी के उन गुत्थियों को सुलझा दे जिनसे मुंह मोड़ लिया है उसने । अपनी ही दुनिया म

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व्यसन !

25 अक्टूबर 2022
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व्यसन (बुरी लत)पृथ्वी पर जीवन के आविर्भाव के वैज्ञानिक और आध्यत्मिक दोनों ही दृष्टिकोण हैं । इसमें एक बात तो तय है कि एक जीव मात्र से जीवन के निर्माण तक का सफर मनुष्यता की सबसे महान उपलब्धियों में से

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डिजिटल मुद्रा~

2 नवम्बर 2022
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डिजिटल मुद्रा~भारतीय इतिहास में मुद्राओं की एक विशिष्ट भूमिका रही है । प्राचीन कालीन शासकों की उपाधि और राजनीतिक विस्तार के साथ साथ मुद्राएं आर्थिक और धार्मिक-सांस्कृतिक स्थिति की गवाही देती आयी हैं ।

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समान सिविल संहिता~

6 नवम्बर 2022
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निजीकरण का विचार~

8 नवम्बर 2022
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निजीकरण~एक घटित हुई सच्ची कहानी स्मरण हो आती है गांव के उस सबसे बड़े परिवार की जिसकी धनाढ्यता बहुत विख्यात थी । फिर ऐसा हुआ कि संसाधनों की अतिशयता ने उस बड़े संयुक्त परिवार के लोगों को निठल्ला बना

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शिक्षा मानवीयता का आधार~

11 नवम्बर 2022
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शिक्षा मानवीय विकास का आधार है । वास्तव में यह उस हस्तांतरित ज्ञान के रूप में है जिससे आगे की पीढियां जीवन को सार्थक रूप में जीने की कला से साक्षात करती हैं । शिक्षा परिचित कराती है नवीन पीढ़ियों को उस

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सरकार और न्यायापालिका

30 नवम्बर 2022
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सरकार और न्यायपालिका ~किसी भी परिवेश ,समाज के संचालन के लिए व्यवस्था एक अनिवार्य तत्व है । व्यवस्था के इस निर्वहन की जिम्मेवारी शाश्वत रूप से राज्य की ही रही है । वर्तमान समय में संवैधानिक व्यवस्था के

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विश्व एड्स टीका दिवस~

18 मई 2023
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ईश्वर ने जीवन का अनमोल उपहार मानव जाति को दिया है । जीवन एक प्रवाह है , इसकी गत्यात्मकता में ही इसकी सुंदरता का वास है । भारतीय मनीषियों ने भी जीवन के स्वरूप को समझने के क्रम में अगाध चिंतन किया है ।

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