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विश्व एड्स टीका दिवस~

18 मई 2023

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ईश्वर ने जीवन का अनमोल उपहार मानव जाति को दिया है । जीवन एक प्रवाह है , इसकी गत्यात्मकता में ही इसकी सुंदरता का वास है । भारतीय मनीषियों ने भी जीवन के स्वरूप को समझने के क्रम में अगाध चिंतन किया है । शंकराचार्य से लेकर महावीर और बुद्ध तक ने जीवन की सार्थकता का मार्ग सुझाया है । राजकुमार सिद्धार्थ ने मानवता को रोगग्रस्त, दुख और मर्त्य देखकर ही उसके निवारण हेतु गृहत्याग कर दिया था। मानवता को रोगमुक्त और स्वस्थ करने का ये उपक्रम आज भी निरंतर है । पिछले चार पांच दशकों से सम्पूर्ण विश्व को जिस रोग ने सर्वाधिक अक्रांत किया है ,उनमें एचआईवी या एड्स सबसे प्रमुख है । तकरीबन 4 करोड़ लोग इस व्याधि के द्वारा असमय काल कवलित हो चुके हैं।
 
यह रोग ,असुरक्षित यौन संबंध,   संक्रमित व्यक्ति से रक्त का आदान प्रदान तथा मां से शिशु में संक्रमण जैसे कारकों से प्रसारित होता है ।


घर का भेदी लंका ढाए वाली कहावत एचआईवी विषाणु को चरितार्थ करती है । शरीर के भीतर एक सूक्ष्म विषाणु शनैः शनैः रोगों से लड़ने की शक्ति पर ही प्रहार करने लगता है । और मानवीय काया निस्तेज़ होने लगती है । प्रत्येक वर्ष इस बीमारी ने लाखों जीवनों को ग्रस लिया। जानकारी के अभाव में और जाने अनजाने लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है । 

हम इस तथ्य से अवगत हैं कि किसी भी चुनौती का मुकाबला मनुष्यता ने मजबूती के साथ की है । जागरूकता बढ़ाने के साथ साथ इसके उचित इलाज के लिए भी अनुसंधान और प्रयास निरंतर रहे हैं । इसी क्रम में 1998 के वर्ष 18 मई को पहली बार विश्व एड्स वैक्सीन दिवस का आयोजन किया गया । 

आशावादी मानवता इस दिवस के माध्यम से आज भी इस असाध्य बीमारी के लिए टीके के निर्माण पर प्रयासरत है । साथ ही इसके द्वारा इस व्याधि से बचाव के लिए लोगो को जागरूक करना भी इसका मुख्य उद्देश्य है । उम्मीद पर ही दुनिया कायम है और इसी आशावादिता ने हमको,आपको और इस सम्पूर्ण सृष्टि को कायम और चलायमान रखा है । आने वाले समय में इस दिवस की सार्थकता तब और फलीभूत होगी जब एड्स के मामलो में साल दर साल कमी होती जायेगी। और विज्ञान और तकनीकी अनुसंधान के मार्फत जल्द ही मारक टीका विकसित कर लिया जाएगा जो हमारी आगामी पीढ़ियों को इस आक्रांता से सुरक्षित भी रखेगा, एवमस्तु ~ऋतेश ओझा


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रचनाएँ
स्वयं से स्वयं तक~
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स्वयं से की गयी बातचीत और ईमानदार साक्षत्कारों के कुछ चुनिंदा अंश इस पुस्तक में संग्रहित हैं ।
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एक जंगल~

7 अक्टूबर 2022
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एक जंगल उसके जेहन में अक्सर घूमता है । बियावान , भयानक, दुर्दम्य जंगल । सिंह , भालू, अजगर , हाथियों से भरा जंगल । बड़े बड़े वृक्ष ,इतने बड़े और घने कि सूरज की रोशनी तक जमीन से ना मिल पाये ।घास इतनी विशाल

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सुकून~

9 अक्टूबर 2022
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वहां कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ, दम ले ले घड़ी भर ये छैया पायेगा कहा ।इस नग़मे में नायक को जीवन के सफर में दौड़ते हुए सुकून की छांव की इत्तला दी जा रही है ।जी हां सुकून !! जो पसर जाए तो मानो हर

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अनदेखी अनजाना~

10 अक्टूबर 2022
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उसे इंतेज़ार रहता है उस इक हसीन लम्हे का । वो लम्हा जो शायद जिंदगी के मायनों से मिला दे , जिंदगी का मतलब बता दें या फिर जिंदगी के उन गुत्थियों को सुलझा दे जिनसे मुंह मोड़ लिया है उसने । अपनी ही दुनिया म

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व्यसन !

25 अक्टूबर 2022
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व्यसन (बुरी लत)पृथ्वी पर जीवन के आविर्भाव के वैज्ञानिक और आध्यत्मिक दोनों ही दृष्टिकोण हैं । इसमें एक बात तो तय है कि एक जीव मात्र से जीवन के निर्माण तक का सफर मनुष्यता की सबसे महान उपलब्धियों में से

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डिजिटल मुद्रा~

2 नवम्बर 2022
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डिजिटल मुद्रा~भारतीय इतिहास में मुद्राओं की एक विशिष्ट भूमिका रही है । प्राचीन कालीन शासकों की उपाधि और राजनीतिक विस्तार के साथ साथ मुद्राएं आर्थिक और धार्मिक-सांस्कृतिक स्थिति की गवाही देती आयी हैं ।

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समान सिविल संहिता~

6 नवम्बर 2022
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आज़ादी की क़वायद के दौर में और उसके बाद की सर्वप्रमुख उपलब्धियों में से एक भारतीय संविधान का निर्माण करना और उसका लागू होना रहा है । संविधान का 'चौथा भाग' नीति निर्देशक सिद्धान्तों के रूप में राज्

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निजीकरण का विचार~

8 नवम्बर 2022
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निजीकरण~एक घटित हुई सच्ची कहानी स्मरण हो आती है गांव के उस सबसे बड़े परिवार की जिसकी धनाढ्यता बहुत विख्यात थी । फिर ऐसा हुआ कि संसाधनों की अतिशयता ने उस बड़े संयुक्त परिवार के लोगों को निठल्ला बना

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शिक्षा मानवीयता का आधार~

11 नवम्बर 2022
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शिक्षा मानवीय विकास का आधार है । वास्तव में यह उस हस्तांतरित ज्ञान के रूप में है जिससे आगे की पीढियां जीवन को सार्थक रूप में जीने की कला से साक्षात करती हैं । शिक्षा परिचित कराती है नवीन पीढ़ियों को उस

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सरकार और न्यायापालिका

30 नवम्बर 2022
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सरकार और न्यायपालिका ~किसी भी परिवेश ,समाज के संचालन के लिए व्यवस्था एक अनिवार्य तत्व है । व्यवस्था के इस निर्वहन की जिम्मेवारी शाश्वत रूप से राज्य की ही रही है । वर्तमान समय में संवैधानिक व्यवस्था के

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विश्व एड्स टीका दिवस~

18 मई 2023
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