एक थी जिराफ, उसकी गर्दन बहुत लम्बी थी जैसे की सभी जिराफ की होती है । उसकी लम्बी गर्दन के कारण जंगल के सभी जानवर उसको चिढ़ाते थे
लम्बी गर्दन वाली टकले की साली.. लम्बी गर्दन वाली टकले की साली ।
जिराफ बेचारी बहुत सीधी थी वो किसी से कुछ नहीं कहती वो कहीं भी जाती तो सब यही कहकर उसका मजाक बनाते ।
लम्बी गर्दन वाली टकले की साली.. लम्बी गर्दन वाली टकले की साली ।
आखिर एक दिन जिराफ ये सुन सुनकर ऊब गई उसने इस जंगल को छोड़कर दूसरे जंगल में जाने का फैसला किया और चल पड़ी दूसरे जंगल की ओर..
दूसरा जंगल भी बहुत हरा -भरा और सुंदर था । जिराफ बहुत थक चुकी थी । उसे भूख और प्यास दोनों लग गए थे । उसने सोचा पहले नदी पर चलकर पानी पी लू फिर हरी - हरी पत्तियों को खाऊँगी । जिराफ नदी की तलाश में जाने लगी। ये जंगल जिराफ के लिए नया था, नदी का रास्ता उसे पता नहीं था । संयोग से उसे सामने से एक हिरण आता हुआ दिखाई दिया । जिराफ ने हिरण को बड़ी विनम्रता से नदी का रास्ता पूछा और ये भी बताया कि वो उस जंगल में अभी अभी आई है ।
हिरण पहले तो बहुत हँसा और फिर आवाज लगा कर अपने साथियों को भी बुला लिया । बाकि सब भी जोर जोर से हँसने लगे । उनमें से किसी ने भी पहले कभी इतनी लम्बी गर्दन वाला जानवर नहीं देखा था । उनकी हंसी सुनकर जंगल के बाकि जानवर भी आ पहुंचे और जिराफ को देखकर हँसने लगे ।
बेचारी जिराफ! चुपचाप ख़डी रह गई ।
"लम्बी गर्दन वाली, पीली पीली काली... लम्बी गर्दन वाली, पीली पीली काली...." पेड़ से एक बंदर बोला ।
बंदर का ये जुमला बाकि जानवर भी दोहराने लगे ।
लम्बी गर्दन वाली, पीली पीली काली... लम्बी गर्दन वाली, पीली पीली काली....
जिराफ की आँखों से आँसू निकलने लगे । उसका मन हुआ अभी यहाँ से भाग जाए । वो ऐसा ही करने वाली थी लेकिन तभी उसे लगा कि उसकी गर्दन पर कुछ है और उसके कानों में एक आवाज आई ।
"तुम रो क्यूँ रही हो? लोगों का तो काम ही है दूसरों को चिढ़ाना, बातें बनाना। लेकिन हमें घबराना नहीं चाहिए । उधर देखो जरा लंगूर की पूँछ लम्बी है, हाथी की तो नाक ही तुम्हारी गर्दन से भी ज्यादा लम्बी है, वो गेंडा खुद कितना मोटा है और तुम्हें चिढ़ा रहा है, उस हिरण को देखो पतली टांगे और सींग भी टेढ़े मेढ़े है.. "
सभी जानवर ये सुनकर चुप हो गए थे और जिराफ को भी हिम्मत मिल रही थी ।
"मुझे ही देख लो मैं कितनी छोटी हुँ?..."
जिराफ ने देखा ये तो एक छोटी सी, प्यारी सी गिलहरी है ।
"मुझसे दोस्ती करोगे?" गिलहरी ने मासूमियत से पूछा
"तुम तो बहुत छोटी हो " जिराफ ने थोड़ा नखरे दिखाते हुए कहा
"तुम्हारी भी तो गर्दन बहुत लम्बी है।" गिलहरी ने बहुत को लम्बा खींचते हुए कहा और फिर दोनों हँस पड़े । साथ साथ जंगल के बाकि जानवर भी हंसने लगे । लेकिन अब जिराफ को बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा ।
उस दिन से गिलहरी और जिराफ पक्के और अच्छे दोस्त बन गए । अब जिराफ कभी भी लम्बी गर्दन कहने पर बुरा न मानकर हमेशा खुश रहती थी ।
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