बिट्टू जिस घर में रहता था वहाँ एक भी बल्ब ठीक नहीं था इसलिए रात को अंधेरा ही रहता था। अँधेरे में बिट्टू को बहुत डर लगता था उसका कोई दोस्त भी नहीं था जिसके साथ खेलने से उसका डर कम हो । बिट्टू के कहने पर उसके पापा ने इंटरनेट के जरिये बल्ब मंगवा लिए और पूरे घर में लगा दिए। अब घर तो जगमगाने लगा लेकिन बिट्टू फिर भी उदास था।
नादान बिट्टू ने अपने पापा की देखा देखी एक दिन अपने पापा के दोस्त से एक बच्चा ऑनलाइन मंगवाने की जिद की। पापा के दोस्त ने बिट्टू का दिल रखने के लिए इंटरनेट का बहाना करके अपने दूसरे दोस्त के हाथ बिट्टू के लिए कुत्ते का बच्चा भिजवाया लेकिन बिट्टू को वो पसंद नहीं आया । पापा के दोस्त ने दूसरा पिल्ला भेजा बिट्टू को वो भी पसंद नहीं आया।
बिट्टू ने अपने पापा से बात की
बिट्टू - पापा मैंने इंटरनेट से एक बच्चा मंगवाया था लेकिन वो इंटरनेट वाले अंकल न बहुत गंदे है।
पापा - अच्छा! लेकिन क्यों ( पापा ने मुस्कराते हुए पूछा । पापा को बिट्टू का उनके दोस्त से बच्चा मंगवाने वाला किस्सा पहले ही पता था )
बिट्टू - देखिए न! मैं उनसे अपने साथ खेलने के लिए एक बच्चा मंगवाता हुँ और वो कुत्ते का पिल्ला ले आते है ( बिट्टू ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा )
बिट्टू की बात सुनकर पापा के चेहरे पर मुस्कान आ गई उन्होंने बिट्टू को प्यार करते हुए समझाया, "देखो बेटा किसी भी बच्चे को उनके माँ पापा के साथ रहना ही पसंद होता है । तुम अपने स्कूल के बच्चों से दोस्ती करो । हमारे पड़ोस में रहने वाले बच्चों से दोस्ती करो और उनके साथ खूब खेलो । ऐसा करने से तुम्हारे बहुत सारे दोस्त होंगे और तुम्हें ऑनलाइन दोस्त भी नहीं मंगवाना पड़ेगा ।
बिट्टू को पापा की बात समझ में आ गई । अब बिट्टू के पड़ोस में रहने वाले बच्चे उसके बहुत अच्छे दोस्त है और अब बिट्टू को ऑनलाइन दोस्त मंगवाने की जरूरत नहीं है।
(ये कहानी मुझे मेरे चार साल के बेटे ने सुनाई । शब्दों को सही आकार देते हुए मैंने इसे लिखा है। प्रतियोगिता के हिसाब से अभी उसकी उम्र कम है और अभी उसको लिखना भी नहीं आता है, नहीं तो ये कहानी उसके खुद के शब्दों में होती )
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