टीनू को बड़ी बेसब्री से रविवार का इंतजार था। उसने सोचा तितलियों को फूल बेहद पसंद होते है इसलिए उसने अपने पापा से कहकर कुछ गमले और पौधे भी मंगवा लिए और उन्हें अपने कमरे की खिड़की और बालकनी में रख दिया। बेकार टीन के डिब्बे और प्लास्टिक की बोतल को रंग और फालतू के सामान से सजाकर और उनमें मिट्टी भरकर कुछ फूल के पौधे उनमें भी लगा दिए। उसके कमरे की बालकनी पौधों और रंग-बिरंगे फूलों से बहुत सुंदर लग रही थी। इन सब तैयारियों में उसे समय का पता ही नहीं चला और रविवार का दिन भी आ गया। टीनू सुबह जल्दी ही उठ गया।
"अरे! आज छुट्टी है फिर भी तुम जल्दी उठ गए, कमाल ही हो गया! " माँ टीनू को सुबह जल्दी जागा हुआ देख कर बोली।
टीनू बस मुस्करा दिया, माँ को कैसे बताता? कि उसकी दोस्त रंगीली तितली आने वाली है। टीनू ने नहाने-धोने से लेकर नाश्ता करने तक सभी काम जल्दी से निबटा लिए और अपने कमरे में आकर बेसब्री से रंगीली का इंतजार करने लगा। लेकिन रंगीली तितली अभी तक नहीं आई थी। टीनू ने सोचा क्यों न तब तक स्कूल से मिला होमवर्क कर लिया जाए। उसका काम भी हो जायेगा और इंतजार का वक़्त भी कट जायेगा। टीनू ने अपना स्कूल बैग निकाला और काम करने लगा।
टीनू अपना होमवर्क कर चुका था और अपनी कॉपी-किताब वगैरह बैग में संभाल ही रहा था कि तभी उसे रंगीली की खनखनाती हुई आवाज सुनाई दी।
"कैसे हो टीनू?" रंगीली तितली टीनू के कंधे पर बैठती हुई बोली
" मैं बहुत अच्छा हुँ और कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा हुँ " टीनू ने रंगीली को मुस्करा कर देखा और अपना बैग साईड में रख दिया
" माफ करना टीनू! हमें थोड़ा देर हो गई।" रंगीली अपने कोमल पंख हिलाते हुए बोली
"कोई बात नहीं, चमकीली और सुनहरी कहाँ है?" टीनू इधर उधर देखते हुए बोला
"उन्हें तो तुम्हें ढूंढना पड़ेगा।" रंगीली शरारत से मुस्करा दी
"अच्छा! आते ही मस्ती शुरू भी कर दी तुम सब ने!" टीनू भी मुस्करा दिया। उसने चमकीली और सुनहरी को ढूंढना शुरू किया। पर्दे के पीछे, कुर्सी के नीचे, इधर-उधर लेकिन उसे कमरे में कहीं भी दोनों नजर नहीं आई। रंगीली खिलखिला कर हंसने लगी। फिर टीनू को ध्यान आया बालकनी का और वो तुरंत बालकनी में पहुंचा। पीले गुलाब के पीछे उसे चमकीली नजर आ गई।
"ढूंढ़ लिया!!" टीनू ख़ुशी से बोला और चमकीली की तरफ अपनी हथेली बढ़ा दी। चमकीली भी मुस्करा कर उसकी हथेली पर आ गई।
"मुझे तो ढूंढ लिया, अभी सुनहरी को ढूंढ़ना बाकि है।" चमकीली बोली
"उसे भी ढूंढ लूंगा।" टीनू ने कहा और चमकीली को रंगीली के पास ले गया। चमकीली भी रंगीली के पास जाकर बैठ गई। टीनू अब सुनहरी को ढूंढने लगा। एक -एक फूल के पीछे उसने अच्छे से देखा लेकिन उसे कहीं भी सुनहरी नजर नहीं आई। इधर चमकीली और रंगीली टीनू को देख-देख कर मुस्करा रही थी। टीनू कभी उनको देखता तो कभी सुनहरी को ढूंढने की कोशिश करता। काफ़ी देर ढूंढने के बाद टीनू थक कर कुर्सी पर बैठ गया। चमकीली और रंगीली टीनू को देखकर अब भी मुस्करा रही थी। तभी टीनू की नजर कमरे में लटकते सजावटी चाँद और सितारों पर गई। सुनहरी चाँद के पीछे से मुस्करा रही थी। टीनू दौड़ कर उसके पास गया।
"तुम्हें भी ढूंढ लिया!!" टीनू खुश होकर बोला और सुनहरी की तरफ हल्की सी फूँक मारी।
"अब क्या उड़ा कर भगा ही दोगे?" सुनहरी मजाक करती हुई बोली।
"क्यों न हम सब लुका-छिपी ही खेले?" रंगीली पास आकर बोली
"लेकिन इस बार ढूंढने की बारी तुम्हारी," टीनू रंगीली की तरफ अंगुली दिखा कर बोला
"ठीक है," रंगीली ने पंख हिला दिए।
चारों ने मिलकर लुका-छिपी खेला और बहुत सी बातें की। टीनू ने अपने हिस्से का शरबत रंगीली, चमकीली और सुनहरी को पिलाया। उनको वो शरबत बहुत पसंद आया।
अब शाम हो चुकी थी, रंगीली और उसके साथियों का घर जाने का वक़्त हो चुका था।
"अच्छा, टीनू अब हम चलते है।" रंगीली बोली
"तुम्हारे साथ हमें बहुत मजा आया!" चमकीली ने मुस्करा कर कहा
"और तुम्हारा शरबत तो लाजवाब था," सुनहरी आँखें बंद करके शरबत को याद करती हुई बोली।
"मतलब?" चमकीली सुनहरी से बोली
"लाजवाब का मतलब... हाँ! याद आया जिसका कोई जवाब न हो मतलब बहुत अच्छा," सुनहरी ने तुरंत मुस्कराते हुए जवाब दिया
"ठीक है! ठीक है! मुझे पहले ही पता था।" चमकीली भी झट से बोली। टीनू जो कि तितलियों के वापस जाने से थोड़ा उदास था, चमकीली और सुनहरी की बातों को सुनकर हँस पड़ा।
"चलो तुम हँसे तो सही, हम अगले रविवार को फिर आएंगे तब तक तुम यूहीं हँसते रहना।" रंगीली ने कहा। इसके बाद तीनों तितलियों ने बारी बारी से टीनू के गालों को अपने पंखो से सहलाया और उड़ती हुई चली गई। टीनू खिड़की खोले तब तक उन्हें देखता रहा ज़ब तक कि वो आँखों से ओझल नहीं हो गई।
🦋🦋 छोटे और प्यारे दोस्तों टीनू और रंगीली की दोस्ती हमेशा बनी रहेगी और उनकी कहानियाँ भी बनती रहेगी। 🦋🦋