टीनू एक छोटा सा प्यारा सा बच्चा था। टीनू को फूल और तितलियाँ बहुत ही पसंद थी जो अमूमन ज्यादातर बच्चों को होती है।
एक दिन टीनू गेंद से खेल रहा था तभी उसकी गेंद पास के बगीचे में चली गई। गेंद के पीछे पीछे टीनू भी वहाँ चला गया। बगीचे में कई रंगो के फूल खिले हुए थे। लाल, पीले, नीले, गुलाबी, सफ़ेद, और भी कई रंगो रंगो के फूल उस बगीचे की शान में मुस्करा रहे थे। फूलों पर रंग - बिरंगी, कोमल और सुंदर तितलियाँ मंडरा रही थी। बगीचे को जैसे चार चाँद लग गए थे।
ये सब टीनू खूब खुश हुआ उसे ये सब बहुत अच्छा लग रहा था। टीनू ख़ुशी से पूरे बगीचे में दौड़ने लगा, कभी यहाँ कभी वहाँ। टीनू की इस भागा दौड़ी से तितलियाँ भी इधर उधर उड़ने लगी। टीनू को ये सब देखकर बहुत मजा आया वो और जोर से इधर उधर दौड़ने लगा और जोश में आकर फूल-पत्ते भी तोड़ने लगा। काफ़ी देर टीनू ऐसा ही करता रहा। फूलों को तोड़ता, पत्ते नोंचते हुए उसे बहुत ख़ुशी हो रही थी लेकिन तितलियाँ बेचारी उदासी से ये सब देखती रही। फूल चीख रहे थे, 'हमें मत तोड़ो' लेकिन टीनू!! उसे न तो तितलियों की उदासी दिखाई दी और न ही फूलों का दर्द!उसे तो बस अपनी मस्ती से मतलब था।
जब टीनू का मन भर गया तब वो अपनी गेंद लेकर घर चला गया।जो बगीचा रंग-बिरंगे फूलों और तितलियों से सजा हुआ था अब वो उजड़ा चमन बन गया था।
टीनू को आज शाम का वो सुंदर बगीचा और रंग बिरंगी तितलियाँ बहुत पसंद आई थी, सोते वक़्त उसकी आँखों के सामने उसे तितलियाँ ही नजर आ रही थी।
जल्द ही टीनू को नींद भी आ गई। टीनू को सोए हुए कुछ ही देर हुई थी कि तभी एक सतरंगी तितली टीनू के गाल पर बार-बार गुदगुदी करने लगी। टीनू की नींद खुल गई उसने उस खूबसूरत तितली को देखा तो बहुत खुश हुआ वो उस तितली को पकड़ने के लिए मचल उठा। वो अपने बिस्तर से उठा और उस तितली के पीछे जाने लगा। तितली उड़ते हुए दूर जाने लगी। टीनू को ऐसा लगा जैसे वो तितली उससे डर रही हो।
"अरे!तुम मुझ से डर रही हो?" टीनू के मुँह से निकला
तितली टीनू की आवाज सुनकर और भी डर गई।
"तुम मुझ से डर क्यों रही हो प्यारी तितली?! मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हुँ।" टीनू तितली से बोला
"तुम मुझे पसंद करते हो!!" तितली बहुत ज्यादा हैरानी से बोली। तितली की प्यारी छन छन जैसी आवाज सुन कर टीनू को बहुत ज्यादा ख़ुशी हुई
"अरे!!तुम बोलने वाली तितली हो!!!" टीनू के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कराहट आ गई।
"तुम बहुत गंदे हो!बिल्कुल राक्षस जैसे!!" तितली को टीनू से नफ़रत हो गई थी।
"तुम ऐसा क्यों कहा रही हो? मैं तो तुम्हें अपना दोस्त बनाना चाहता हुँ!" टीनू थोड़ा उदास हो चुका था।
"दोस्त!!!इतने गंदे दोस्त! मुझे नहीं करनी तुमसे दोस्ती। तुमने हमारा घर तोड़ दिया।" तितली बोली
"तुम्हारा घर कब तोड़ा मैंने?" टीनू मासूमियत से बोला
"कल तुमने तुम्हारे घर के पास वाली बगिया उजाड़ दी, सारे फूल तोड़ दिए, पौधों को भी नुकसान पहुंचाया। वो ही तो हमारा घर, हमारी खूबसूरत दुनिया थी। जिसे तुमने बर्वाद कर दिया।" तितली ने बताया
"वो तुम्हारा घर था!!" टीनू हैरानी से बोला
"मुझे माफ कर दो प्यारी तितली, मैं तुमसे वादा करता हुँ दोबारा कभी ऐसा नहीं करूंगा, फूल पौधों को नुकसान कभी नहीं तोडूंगा।इस तरह की गलती फिर नहीं होगी। तुम मुझे माफ़ कर दो " टीनू कान पकड़ते हुए बोला।
"गलती तो तुम से हो गई है।" तितली बोली
"मैं अपनी गलती भी सुधार लूंगा, पेड़ पौधों का ध्यान रखूंगा, नए पौधे लगा कर उनकी देखभाल करूँगा। और ज़ब तक तुम्हारा बगीचा फिर से ठीक न कर दू तब तक चॉकलेट नहीं खाऊंगा" टीनू मासूम सा चेहरा बनाते हुए बोला।
"ठीक है !ज़ब तुम हमारा घर फिर से पहले जैसा कर दोगे तब मैं अपने बाकि दोस्तों के साथ तुम्हें वहीं मिलूंगी।" ऐसा कहकर तितली जाने लगी।
"अरे!अपना नाम तो बता कर जाओ" टीनू ने तितली से पूछा
"रँगीली सपना" तितली ने बताया
"रँगीली तो ठीक लेकिन सपना क्या?" टीनू ने पूछा।
"ये मेरा सरनेम है जैसे तुम लोगों का होता है, कल सुबह तुम सब समझ जाओगे।" तितली ने कहा और चली गई।
टीनू भी रँगीली को याद करके मुस्कराते हुए सो गया।
सुबह ज़ब टीनू की आँख खुली तो उसे रँगीली का ध्यान आया उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसने तुरंत खिड़की की तरफ दौड़ लगाई और बगीचे की तरफ देखा। फूल पौधों से सजा हुआ बगीचा आज मुरझाया हुआ था।
टीनू ने ठीक से याद करने की कोशिश की तब उसे ध्यान आया रँगीली सपना से किया हुआ अपना वादा और साथ ही याद आया रँगीली सपना का सुबह समझ आने वाला किस्सा।
असल में टीनू ने सपना देखा था। बेहद सुंदर सपना जिसमें उसने सीखा था पेड़ पौधों को लगाना, उन्हें बचाना और उनका ध्यान रखना।
टीनू तुरंत बगीचे में गया और बगीचे की सफाई में माली अंकल की मदद करने लगा। टीनू रोज बगीचे में जाकर माली अंकल की मदद करता।
कुछ ही दिनों में बगीचा फिर से हरा भरा दिखने लगा और उसके कुछ समय बाद बगीचे में सुन्दर और रंग-बिरंगे फूल भी खिल गए और आने लगी फूलों पर प्यारी तितलियां।टीनू अब बेहद खुश था,उसने अपना वादा पूरा किया था।
टीनू ने अपने स्कूल की चित्र प्रतियोगिता में भाग लिया और सतरंगी तितली का एक बेहद सुंदर चित्र बनाया।उस चित्र का नाम उसने रँगीली रखा।
टीनू के चित्र को प्रथम पुरस्कार मिला। टीनू बेहद खुश हुआ उसने वो चित्र अपने सिरहाने ही लगा दिया और सो गया।
"टीनू हम तुम्हें थैंक्यू कहने आई है" टीनू के कानों में छन छन करती आवाज आई उसने आँखें खोली तो देखा सामने रँगीली उड़ रही थी और उसके साथ ही दो तितलियाँ और भी थी एक सोने जैसे रंग की थी और एक बेहद चमक रही थी।टीनू आँखें मसलता हुआ उठ बैठा।
"अरे !रँगीली तुम आ गई" टीनू खुश होकर बोला
"हाँ ! देखो मेरे साथ मेरे दोस्त भी है सुनहरी और चमकीली।" रँगीली ने बाकि तितलियों का नाम बताते हुए मुस्कराई
"और अब हम तुम्हारे दोस्त है।" सुनहरी मुस्करा कर बोली।
"हम तुम्हें थैंक्स कहने आए है,तुमने हमारा घर फिर से ठीक कर दिया न इसलिए" इस बार चमकीली बोली।
"थैंक्स तो मुझे करना है तुम्हें,तुम्हारी वजह से मैं फूल-पौधों की कद्र करना सीख गया और तुम्हारा चित्र बनाकर पहला इनाम भी जीत गया। देखो... " टीनू रँगीली का चित्र दिखाते हुए बोला।
"अरे वाह!! कितना सुंदर बनाया है" चमकीली और सुनहरी एक साथ बोली।
अपना चित्र देखकर रँगीली शर्मा गई।
"तुमने तो मुझे बेहद सुन्दर बना दिया।" रँगीली शर्मा कर बोली
"तुम सुंदर ही हो और साथ ही प्यारी भी।" टीनू ने कहा और रँगीली उसकी हथेली पर आकर बैठ गई।
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तो दोस्तों कैसी लगी कहानी ये कहानी तो यहीं ख़त्म हुई लेकिन टीनू और उसकी दोस्त रँगीली की दोस्ती कभी खत्म नहीं होगी। इनकी दोस्ती की कहानी आगे भी जारी रहेगी