टीनू अब बहुत खुश रहता था। उसकी आदतों में भी बदलाव आ गया था। वैसे टीनू पहले भी बुरा नहीं था लेकिन अब और भी अच्छा बन गया था। स्कूल का काम खुद ही समय पर कर लेता। पढ़ाई में उसका मन लगने लगा और स्कूल भी अब वो रोज खुशी-खुशी जाता। टीनू को देख कर टीचर भी बड़े खुश थे। मम्मी-पापा तो खुश होने के साथ-साथ हैरान भी थे।
आखिर वो दिन भी आ ही गया जिसका टीनू को बहुत ज्यादा इंतजार रहता था यानि कि रविवार! उसकी छुट्टी और उसकी सबसे अच्छी दोस्त रंगीली से मुलाकात का दिन
टीनू सुबह समय से उठ गया। ब्रश वगैरह करने के बाद उसने अपने कमरे को ठीक किया। अभी टीनू छोटा ही था इसलिए बिस्तर की चादर उससे ठीक से लगाई नहीं जा रही थी तभी कमरे में टीनू की माँ दूध का गिलास लेकर आई और टीनू को बिस्तर ठीक करते देखकर मुस्कराने लगी।
टीनू की माँ ने दूध का गिलास टेबल पर रख दिया और एक तरफ से चादर पकड़ते हुए बोली, "चलो मैं तुम्हारी मदद कर देती हुँ," माँ की बात सुनकर टीनू खुश हो गया।
"मैं बहुत देर से कोशिश कर रहा था," टीनू ने माँ की मदद से चादर ठीक करते हुए कहा।
"अभी तुम छोटे हो न इसलिए अकेले नहीं कर पाओगे थोड़े से और बड़े हो जाओ फिर अकेले ही कर लोगे!" माँ टीनू के गाल पर चूमते हुए बोली, "माँ! आप सबसे अच्छी हो!" टीनू माँ के गले में अपने हाथ डालते हुए बोला।
"और तुम भी सबसे अच्छे बच्चे हो, " माँ टीनू की नाक पकड़ते हुए बोली।
"अच्छा, माँ आज नाश्ते में क्या बना रही हो?" टीनू माँ की पीठ पर झूलते हुए बोला
"तुम ही बता दो," माँ बड़े प्यार से बोली
"खीर बना दो न!" टीनू विनती भरे स्वर में बोला
"हूं... ठीक है, लेकिन पहले तुम ये बताओं खीर बनती किन-किन चीजों से है?" माँ ने मुस्कराते हुए पूछा
"हूं.. दूध.. चावल.... काजू-बादाम... बस," टीनू ने सोच कर बताया
"बस?" माँ आँखें बड़ी करके बोली
"हूं.... घी! हाँ घी भी पड़ता है।" टीनू ने बहुत सोच कर बताया
"और मीठी कैसे बनती है? खीर!" माँ ने आँखें मटका कर पूछा
"उप्स.... चीनी तो भूल ही गया। अब क्या आप खीर नहीं बनाओगी?" टीनू ने उदास होकर पूछा
"अरे! क्यों नहीं बनाऊंगी? मेरे अच्छे बेटे का मन तो माँ कैसे नहीं बनाएगी? आज टीनू की पसंद की खीर बनेगी।" माँ टीनू के सिर पर हाथ रखते हुए बोली, " अब तुम नहा लो, तब तक मैं नाश्ता तैयार कर देती हुँ। " माँ टीनू से नहाने को कहकर किचन की तरफ चली गई। टीनू भी नहाने के लिए जल्दी से बाथरूम में घुस गया।
टीनू अपने हिस्से की खीर अपने कमरे में ही ले आया और अपनी माँ से कह दिया कि दोपहर का खाना खाने वो खुद ही आ जायेगा। टीनू ने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और बालकनी में आकर खड़ा हो गया। स्कूल से मिला होमवर्क उसने रात को ही पूरा कर लिया था। अब उसके लिए इंतजार करना मुश्किल हो रहा था उसकी बेचैन नजरें इधर-उधर अपने दोस्तों को तलाश कर रही थी और तभी उसे दूर छोटे -छोटे तीन रंगीन बिंदु दिखाई दिए। जैसे-जैसे वो बिंदु करीब आते गए उन्होंने तितलियों का आकार ले लिया।
वो कोई बिंदु नहीं बल्कि रंगीली, चमकीली और सुनहरी थी।
"मुझे कब से तुम्हारा इंतजार था, तुम जल्दी क्यों नहीं आती?" टीनू मुँह फुलाते हुए बोला
"हमें इतनी दूर से आना होता है और काम भी तो होते है जो हमें करने होते है।" रंगीली मुस्करा कर बोली
"अच्छा! तितलियों को भी काम करना पड़ता है?" टीनू ने पूछा
"तो फिर, तुम्हें क्या लगता है?" रंगीली टीनू की हथेली पर बैठ कर बोली
"मुझे तो लगता है तुम बस उड़ती रहती हो सारा दिन!" टीनू बोला। उसकी बात सुनकर रंगीली, सुनहरी और चमकीली खिलखिला कर हँसने लगी।
"चलो अब हँसना बंद करो, वरना मैं नाराज हो जाऊंगा।" टीनू आँखें घुमाते हुए बोला
"कोई नहीं हँसेगा।" रंगीली अपने नाजुक पँख से अपना मुँह बंद करती हुई बोली। उसकी देखा-देखी चमकीली और सुनहरी भी अपने-अपने पँख मुँह पर लगाकर एकदम चुप हो गई।
टीनू बालकनी से कमरे के अंदर आ गया उसकी हथेली पर रंगीली बैठी थी। एक कंधे पर चमकीली और दूसरे कंधे पर सुनहरी।
अंदर आकर टीनू ने रंगीली को टेबल पर बैठने का इशारा किया। रंगीली उड़ती हुई टेबल तक जा पहुंची। टीनू ने सुनहरी और चमकीली को भी टेबल पर बैठने को कहा। वो दोनों भी उड़ती हुई टेबल पर जाकर बैठ गई।
टीनू एक कटोरी लेकर उनके पास आया।
"इसमें क्या है?" रंगीली ने कटोरी की तरफ इशारा कर के पूछा।
"इसमें हम चारों के लिए आज की दावत!" टीनू मुस्करा कर बोला
"दावत!!" रंगीली, चमकीली और सुनहरी एक साथ बोली और एक दूसरे का मुँह हैरानी से देखने लगी।
"हाँ!" टीनू ने कहा और खीर से भरा कटोरा टेबल पर रख दिया।
"ये तो खीर है न?" सुनहरी ने पूछा
"तुझे कैसे पता, इसे खीर कहते है?" चमकीली ने सुनहरी से पूछा
"ओह हो, छोड़ो ये बातें। चलो जल्दी से खीर खाते है, वैसे ही तुम लोगों ने बहुत देर कर दी।" टीनू उन्हें प्यार से डांटता हुआ बोला
चारों मिलकर उस कटोरे से खीर खाने लगे।
"ये तो बहुत अच्छी है!" रंगीली खीर खाते हुए बोली
"मेरी माँ ने बनाई है!!" टीनू खुश होकर बोला
"अच्छा! सचमुच तुम्हारी माँ ने लाजवाब खीर बनाई है!" चमकीली जीभ से होंठ चाटते हुए बोली।
"हूं... ये बहुत बहुत स्वादिष्ट है!" सुनहरी भी कटोरा चाटते हुए बोली
चारों ने मिलकर खीर से भरा कटोरा पूरी तरह खाली कर दिया।