एक बार एक बहुत ताकतवर और बहुत ही बड़े आकार का शेर एक हरे- भरे जंगल में आ गया ।फिर उसने पूरे जंगल में खुद के राजा होने की घोषणा कर दी । साथ ही उसने ये भी कहा कि अगर कोई जानवर उसकी बात नहीं मानेगा तो उसे सजा दी जाएगी ।
अब शेर अपनी मनमानी करने लगा। हर वक़्त जंगल के दूसरे जानवरो को परेशान करने लगा । ज़ब तब उन्हें अपना शिकार बनाता और जंगल में यहाँ वहाँ फेंक देता ।जंगल के सारे जानवर परेशान थे इस तरह तो पूरा जंगल ही खत्म हो जायेगा। सभी जानवर दुआ करने लगे कि इस घमंडी शेर का किसी तरह तो अंत हो।
एक दिन घमंडी शेर एक नन्हे से खरगोश को दौड़ा रहा था, उसको खूब सता रहा था । शेर ने खरगोश को अपने पंजो में जकड़ लिया और जोर जोर से हँसने लगा। शेर कभी उसके कान खिंचता तो कभी पूँछ से पकड़ कर जोर जोर से घुमाता । खरगोश शेर से विनती करता रहा कि उसे छोड़ दे या एक ही बार में मार दे। लेकिन शेर को उसे सताने में मजा आ रहा था ।
दूसरे जंगल से आया हुआ एक हाथी उधर से जा रहा था तभी उसकी नजर मासूम खरगोश को सताते हुए शेर पर पड़ी ।
हाथी - छोड़ दो छोटे खरगोश को
शेर - तू कौन होता है मुझे टोकने वाला?मैं जंगल का राजा हुँ और इन सब पर मेरा अधिकार है ।
ऐसा कहकर शेर खरगोश को अपने मुँह के पास ले आया और अपना निवाला बनाने ही वाला था कि तभी हाथी ने अपनी सूंड से शेर को उठाकर जोर से घुमाया और जमीन पर पटक दिया । इसके बाद हाथी ने अपना पैर उठाया और शेर के ऊपर रखने ही वाला था कि शेर गिड़गिड़ाने लगा
शेर - मुझे छोड़ दो हाथी दादा! मुझे माफ कर दो ।
लेकिन हाथी ने उसकी एक नहीं सुनी वो शेर के ऊपर अपना पैर रख ही चुका था कि तभी खरगोश बोला
खरगोश - हाथी दादा! हमें शेर सिंह की बात सुन लेनी चाहिए । अगर इन्हें सचमुच अपनी गलती का पछतावा है और ये दोबारा ऐसा न करने का वादा करे तो आप इन्हें माफ कर दीजिए न!
हाथी - बोलो शेर सिंह!
शेर - मुझे माफ कर दो! मैं आज के बाद कभी भी किसी को भी परेशान नहीं करूंगा !
हाथी- देखा! जिसे तुम मारने वाले थे उसी ने तुम्हारी जान बचाई वरना अभी तक तुम्हारा कचूमर निकल चुका होता।
हाथी ने शेर को छोड़ दिया । शेर ने फिर से माफ़ी मांगी और उस दिन के बाद कभी किसी दूसरे जानवर को परेशान नहीं किया ।