रंगीली ने टीनू को इतनी स्वादिष्ट खीर के लिए एक अनोखे अंदाज में धन्यवाद किया। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर गोलाई में घूमते हुए एक सुंदर सा गाना गाया।
"बहुत अच्छा! " टीनू ताली बजाते हुए बोला।
"आज हम क्या खेलेंगे?" चमकीली तितली ने पूछा।
"आज हम पेंटिंग करते है न!" सुनहरी बड़े प्यार से विनती भरे स्वर में बोली
"तो ठीक है मैं अभी अपनी पेंटिंग का सामान निकालता हुँ।" टीनू खुश होते हुए बोला।
टीनू जल्दी से अपनी ड्रॉइंग की नोट बुक और ढ़ेर सारे रंग ले आया।
"हम क्या बनाएंगे?" सतरंगी तितली रंगीली ने पूछा
"हूं.... जो जिसका मन चाहे!" टीनू सोच कर बोला।
सभी अलग-अलग चित्र बनाने लगे। टीनू ने एक सुंदर झरना बनाया और उसके आस-पास हरे रंग की घास बनाई।
रंगीली ने एक बहुत सुंदर फूल का चित्र बनाया। सुनहरी ने सूरज का चित्र बबाया। चमकीली ने जो चित्र बनाया था उसे देखकर टीनू, रंगीली और सुनहरी एक दूसरे का मुँह देखने लगे। चमकीली बारी बारी से तीनों के चेहरे देखने लगी। तभी वो तीनों खिलखिला कर हँसने लगे।
"ये तुमने क्या बनाया है चमकीली?" टीनू बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी रोकते हुए बोला।
"तुमने इतने सारे रंग एक साथ क्यों बिखेर दिए?" सुनहरी भी अपनी हँसी रोक कर बोली
"मैं तो इंद्रधनुष यानि रेनबो बना रही थी।" चमकीली अपने चित्र पर सबको हँसते हुए देखकर उदास होते हुए बोली।
"रेनबो में सात रंग होते है लेकिन तुमने तो सारे रंगो की खिचड़ी ही बना दि है, रेनबो में काला रंग होता है ऐसा मैं पहली बार देख रहा हुँ।" टीनू फिर से हँसने लगा। उसके साथ रंगीली और सुनहरी भी हंसने लगी।
सबको हँसता देख चमकीली को गुस्सा आया और उसने ब्रश उठाकर टीनू के गाल पर रंग लगा दिया।
टीनू की हँसी एकदम से रुक गई लेकिन ये देखकर रंगीली और सुनहरी और भी जोर से हँसने लगी और अब उनके साथ चमकीली भी हँसने लगी।
टीनू ने एक ब्रश उठाया और उस पर काला रंग लगा लिया और फिर सुनहरी को काले रंग से रंग दिया।
"अब हंसो! हंसो न!!" टीनू सुनहरी को चिढ़ाते हुए बोला।
ये देख कर चमकीली भी बड़ी जोर से हँस पड़ी और साथ ही रंगीली भी।
सुनहरी ने रंग की पूरी डिब्बी उठा ली और रंगीली पर उड़ेल दी। रंगीली पूरी तरह रंग से भीग गई। और उसने मुँह फुला लिया। अब टीनू, चमकीली और सुनहरी हँस रहे थे।
रंगीली भी अपने पँखों को लहराया और उन तीनों पर रंग छिटक दिया।
"आ..." टीनू अपने चेहरे पर हाथ लगाते हुए बोला। चमकीली और सुनहरी ने भी खुद को बचाने के लिए अपने पँख आगे कर दिए।
बस फिर क्या था चारों शुरू हो गए। एक- दूसरे पर रंग फेंकने लगे। टीनू ने रंगीली को निशाना बना कर ब्रश उसकी तरफ लगाना चाहा लेकिन रंगीली वहाँ से हट गई और टीनू ब्रश सहित बिस्तर पर जा गिरा। बिस्तर पर भी रंग लग गया। सुनहरी रंग की डिब्बी लेकर चमकीली की तरफ बढ़ी जैसे ही उसने डिब्बी उड़ेली चमकीली एक तरफ हट गई और रंग फर्श पर गिर गया। चमकीली ने अपने पँखों को रंग में डुबोया और टीनू के गालों को रंग दिया। टीनू में भी अपने हाथों को रंग लिया और रंगीली की तरफ बढ़ा लेकिन रंगीली हट गई और रंग दीवार पर लग गया।
चमकीली ने भी अपने पँखों से सुनहरी को रंगना चाहा लेकिन सुनहरी को पकड़ नहीं पाई। तभी उसके सामने रंगीली आ गई और उसने रंगीली की नाक पर रंग लगा दिया । रंगीली ने भी तुरंत अपने पँखों से चमकीली के गाल रंग दिए।
काफी देर चारों इसी तरह एक दूसरे को रंग लगाते रहे और खिलखिलाते रहे। पूरे कमरे में रंग ही रंग था। बिस्तर पर, टेबल पर, दीवारों पर और खुद वो चारों चलती फिरती रंग की दुकान लग रहे थे।
तभी बाहर से माँ की आवाज आई।
"टीनू! इतना शोर क्यों मचा रखा है?"
टीनू ने मुँह पर अंगुली रख कर चमकीली, सुनहरी और रंगीली को चुप रहने का इशारा किया।
"माँ! थोड़ी देर गेम खेल रहा हुँ, इसलिए बस!" टीनू बोला
"अच्छा! ठीक है।" इतना कहकर माँ चली गई।
"गई," टीनू दरवाजे से कान लगा कर बोला।
और एक बार फिर सब रंग एक दूसरे पर फेंकने लगे।
🦋आगे क्या हुआ इसके लिए तो आपको अगले भाग का इंतजार करना होगा 🦋 तब तक हँसते रहिए 😊😊